कोरबा (पब्लिक फोरम)। मानसून की पहली फुहारों के साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के प्रतिबंध और राज्य सरकार के सख्त निर्देशों के बाद, कोरबा जिला प्रशासन ने रेत के अवैध साम्राज्य पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर अजीत वसंत के कड़े तेवरों के बाद लंबे समय से शांत बैठा जिला टास्क फ़ोर्स पूरी ताकत से मैदान में उतर आया है, जिससे रेत का अवैध खनन, परिवहन और भंडारण करने वाले सिंडिकेट में हड़कंप मच गया है।
सीतामढ़ी में टास्क फ़ोर्स का एक्शन, माफिया में खलबली
गुरुवार की सुबह जब शहर बारिश की फुहारों से भीग रहा था, सीतामढ़ी रेत घाट पर एक अलग ही गहमागहमी थी। राजस्व, खनिज और पुलिस विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने यहाँ धावा बोल दिया। प्रशासन की इस औचक कार्रवाई की भनक लगते ही रेत माफिया में भगदड़ मच गई। मौके पर खनन में लगी 4 से 5 जेसीबी मशीनें, हमेशा की तरह, अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही दूसरे रास्तों से भाग निकलने में कामयाब रहीं।
हालांकि, खनन करने वाली मशीनें तो हाथ नहीं लगीं, लेकिन प्रशासन ने रेत का अवैध परिवहन कर रहे कई ट्रैक्टरों को धर दबोचा। इसके अलावा, सीतामढ़ी मार्ग पर रेस्ट हाउस के सामने चालाकी से लॉक करके खड़े किए गए दर्जनों ट्रैक्टरों को भी यातायात पुलिस की मदद से जब्त कर लिया गया। इन सभी वाहनों को कोतवाली परिसर में रखवाया गया है और आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। यह कार्रवाई उस सिंडिकेट के लिए एक बड़ा झटका है, जो मानसून में रेत की कृत्रिम कमी पैदा कर ऊंचे दामों पर बेचने की फिराक में था।
राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिशें भी हुईं नाकाम
इस पूरे ऑपरेशन के दौरान शहर में सिंडिकेट बनाकर रेत का काला कारोबार करने वालों में हड़कंप मचा रहा। सूत्रों की मानें तो इस अवैध कारोबार में एक स्थानीय भाजपा नेता का नाम भी सामने आ रहा है। कार्रवाई के दौरान सिंडिकेट से जुड़े लोगों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव बनाने की भरपूर कोशिश की और उन्हें भाजपा नेताओं से बात करने के लिए कहा। हालांकि, प्रशासन की सख्ती के आगे उनकी एक न चली। सूत्र बताते हैं कि कुछ वाहनों को छोड़ने का दबाव बनाया गया, लेकिन अधिकांश वाहनों पर जब्ती की कार्रवाई की गई। देर शाम तक चली इस कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा तैयार किया जा रहा है।
अवैध भंडारण पर भी होगी नजर
प्रशासन की नजर अब केवल अवैध परिवहन पर नहीं, बल्कि उन बड़े भंडारण स्थलों पर भी है, जहाँ प्रतिबंध अवधि में बेचने के लिए रेत का अवैध भंडारण किया गया है। जिले के भिलाईखुर्द, बांकीमोगरा, कटघोरा और कई ग्रामीण इलाकों में शासकीय व निजी जमीनों पर भारी मात्रा में रेत डंप की गई है। खनिज विभाग इन ठिकानों से पहले से वाकिफ है। उम्मीद की जा रही है कि टास्क फ़ोर्स जल्द ही इन अवैध भंडारणों पर भी दबिश देकर रेत जब्त करेगी, ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप इस अवैध कारोबार की कमर तोड़ी जा सके।
एक दिन पहले भी हुई थी बड़ी कार्रवाई
यह कार्रवाई सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं है। इससे एक दिन पहले बुधवार को भी खनिज एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने जिले भर में अभियान चलाया था। इस दौरान ग्राम बरमपुर, कुसमुंडा, पाली, उरगा, कटघोरा और करतला क्षेत्र से कुल 14 वाहन (टिप्पर और ट्रैक्टर) जब्त किए गए थे। यह दिखाता है कि जिला प्रशासन इस बार रेत के अवैध कारोबार को किसी भी कीमत पर बख्शने के मूड में नहीं है।
क्यों जरूरी है मानसून में खनन पर रोक?
विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून के दौरान नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और बहाव तेज होता है। इस समय रेत खनन करने से नदी के किनारों का कटाव तेजी से होता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, यह समय जलीय जीवों के प्रजनन का होता है। खनन से उनका प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है, जिससे नदी का पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) बुरी तरह प्रभावित होता है। NGT ने इन्हीं वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारणों के चलते 10 जून से 15 अक्टूबर तक रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है, जिसका पालन सुनिश्चित कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
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