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ऐतिहासिक कदम: माकपा महासचिव एम.ए. बेबी पहुंचे भाकपा-माले मुख्यालय, वाम एकता की नई उम्मीद

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। वामपंथी राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI-M] के नवनिर्वाचित महासचिव कॉमरेड एम.ए. बेबी ने आज भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (CPI-ML) के केंद्रीय मुख्यालय चारु भवन का दौरा किया। यह किसी माकपा महासचिव द्वारा भाकपा-माले कार्यालय का पहला द्विपक्षीय दौरा था, जिसने वामपंथी दलों के बीच बढ़ती समझ और सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कॉमरेड बेबी के साथ माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य कॉमरेड अशोक धवले, कॉमरेड नीलोत्पल बसु और कॉमरेड अरुण कुमार भी मौजूद थे। भाकपा-माले की ओर से कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य के साथ कॉमरेड संजय शर्मा और कॉमरेड प्रभात कुमार ने इस महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लिया। इस ऐतिहासिक मुलाकात को मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में वामपंथी ताकतों और अन्य संघर्षरत संगठनों के बीच घनिष्ठ समन्वय और सहयोग की बढ़ती मांग के रूप में देखा जा रहा है।

क्यों अहम है यह मुलाकात?
यह दौरा केवल एक औपचारिक भेंट से कहीं अधिक है। भारतीय राजनीति में जहां सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतें सिर उठा रही हैं, वहीं वामपंथी दलों के बीच एकता और मजबूत सहयोग की जरूरत पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। लंबे समय से वामपंथी दलों के बीच वैचारिक और रणनीतिक मतभेद रहे हैं, लेकिन आज की स्थिति इन मतभेदों से ऊपर उठकर साझा चुनौतियों का सामना करने की मांग करती है।

उम्मीदों का नया दौर
कॉमरेड एम.ए. बेबी के इस दौरे से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि दोनों प्रमुख वामपंथी दल एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। यह कदम न केवल उनके स्वयं के संगठन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन करोड़ों लोगों के लिए भी आशा की किरण है जो धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए वामपंथी आंदोलन की ओर देखते हैं। इस मुलाकात ने “वामपंथी एकता” के नारे को एक नई ऊर्जा दी है और उम्मीद है कि भविष्य में यह सिर्फ एक नारा न होकर वास्तविक जमीनी सहयोग में बदलेगा।

आगे की राह
इस बैठक में क्या विशिष्ट मुद्दे उठाए गए, इसका विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि वर्तमान राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों पर गहन चर्चा हुई होगी। विशेष रूप से, मेहनतकशों, किसानों और वंचितों के अधिकारों के लिए साझा संघर्ष की रणनीति पर भी विचार-विमर्श किया गया होगा।
वामपंथी दलों के भीतर और बाहर भी यह उम्मीद की जा रही है कि इस ऐतिहासिक दौरे से सभी वामपंथी ताकतें एकजुट होकर देश के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे आएंगी। यह समय की मांग है कि विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एक मजबूत, एकजुट और प्रभावी वामपंथी विकल्प उभरे। चारु भवन में हुई यह मुलाकात इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहला कदम साबित हो सकती है।

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