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सुशासन तिहार: उम्मीदें धुंधली, शिकायतें अनसुनी – बालको के नागरिकों को न्याय का इंतजार

कोरबा, छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। “सुशासन तिहार” के तहत सरकार द्वारा जन समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए आयोजित शिविरों की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कोरबा के बालको जोन कार्यालय में 21 मई 2025 को आयोजित ऐसे ही एक समाधान शिविर में नागरिकों द्वारा बालको के नए कूलिंग टावर से उत्पन्न समस्याओं को लेकर कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी इन आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह स्थिति नागरिकों में निराशा और अविश्वास पैदा कर रही है, जिससे ‘सुशासन’ के दावों पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

क्या है पूरा मामला?
21 मई 2025 को बालको जोन कार्यालय में “सुशासन तिहार” के अंतर्गत एक समाधान शिविर का आयोजन किया गया था। इस शिविर में शांति नगर, बालको क्षेत्र के निवासियों ने बालको के नए कूलिंग टावर से होने वाली विभिन्न परेशानियों के संबंध में कई आवेदन प्रस्तुत किए।

सौरभ अग्रवाल, पी. योगेश कुमार, अफजल खान, दिनेश सैनी, धनेंद्र जैसे प्रमुख नामों सहित कई नागरिकों ने अपनी समस्याओं को प्रशासन के समक्ष रखा। इन आवेदनों में कुछ पंजीकरण क्रमांक भी शामिल थे, जैसे 25270050900040, 25270050900036, 25270050900041, 25270050900046।

शिकायतों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
नागरिकों का आरोप है कि इन महत्वपूर्ण आवेदनों पर अब तक न तो कोई कार्रवाई की गई है और न ही उन्हें विधिवत रूप से पंजीकृत किया गया है। पी. योगेश कुमार, जिन्होंने इस मामले में कलेक्टर को पत्र भी लिखा है, बताते हैं कि उनकी पूर्व शिकायतों पर भी कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया और न ही उनका समाधान किया गया। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि जनसुनवाई के ये शिविर मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गए हैं, जहां नागरिकों की समस्याओं को सुनने के बाद भी उन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।

नागरिकों में बढ़ रहा असंतोष
शांति नगर के निवासी बालको के नए कूलिंग टावर से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से लंबे समय से जूझ रहे हैं। उनकी उम्मीद थी कि “सुशासन तिहार” के तहत आयोजित यह शिविर उनके लिए न्याय का मार्ग प्रशस्त करेगा, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने उनकी आशाओं को धूमिल कर दिया है।
नागरिकों का कहना है कि जब सरकार स्वयं समस्याओं के समाधान के लिए मंच उपलब्ध करा रही है, तब भी यदि उनकी सुनवाई न हो तो वे अपनी गुहार कहाँ लगाएं? यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

कलेक्टर से हस्तक्षेप की मांग
इस पूरे मामले पर पी. योगेश कुमार और अन्य प्रभावित नागरिकों ने माननीय कलेक्टर, कोरबा से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कलेक्टर महोदय से निवेदन किया है कि वे उपरोक्त सभी लंबित आवेदनों पर त्वरित संज्ञान लें और संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध एवं प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दें, ताकि शांति नगर के नागरिकों को न्याय मिल सके और उन्हें अपनी मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर भटकना न पड़े।

यह घटना दर्शाती है कि शासन की अच्छी नीतियां और पहलें तब तक अधूरी हैं, जब तक कि उनका जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन न हो। उम्मीद है कि जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और नागरिकों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगा, जिससे सुशासन की वास्तविक भावना कायम रह सके।

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