नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। वेदांता समूह अपने व्यापारिक मॉडल में एक बड़ा बदलाव करने जा रहा है, जिसमें प्रमोटर्स अपना नियंत्रण बनाए रखेंगे। इस रणनीतिक कदम से कंपनी के विभिन्न व्यवसाय अधिक स्वतंत्र और केंद्रित होकर अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
– वेदांता लिमिटेड के प्रमोटर्स विभाजित होने वाली सभी नई कंपनियों में 50% से अधिक हिस्सेदारी बनाए रखेंगे
– समूह अपने एल्यूमिनियम, तेल और गैस, बिजली तथा स्टील व्यवसायों को अलग-अलग कंपनियों में बांटेगा
– इस कदम का उद्देश्य “प्योर-प्ले” कंपनियों का निर्माण करना है, जो अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता से काम करेंगी
वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल के अनुसार, “हमारा लक्ष्य ऐसी कंपनियां बनाना है जो अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखें और बाजार के अवसरों का बेहतर लाभ उठा सकें।”
वर्तमान में, ये सभी व्यवसाय वेदांता लिमिटेड के अंतर्गत संचालित होते हैं, जो यूके स्थित वेदांता रिसोर्सेज की भारतीय शाखा है। विभाजन के बाद, प्रत्येक व्यवसाय एक स्वतंत्र कंपनी के रूप में काम करेगा, लेकिन प्रमोटर्स का नियंत्रण बना रहेगा।
इस फैसले से निवेशकों को अधिक पारदर्शिता मिलेगी और वे अपनी पसंद के अनुसार विशिष्ट क्षेत्रों में निवेश कर सकेंगे। साथ ही, अलग-अलग क्षेत्रों की कंपनियां अपने विकास के लिए अधिक स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकेंगी।
यह कदम वैश्विक खनन और धातु उद्योग में बड़े बदलावों के बीच आया है, जहां कंपनियां अधिक केंद्रित और विशेषज्ञ बनने का प्रयास कर रही हैं। वेदांता का यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था और विश्व बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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