back to top
बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
होमझारखंडझारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: पशु चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष...

झारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: पशु चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष और डीएसीपी का लाभ सुनिश्चित

रांची (पब्लिक फोरम)। झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य के पशु चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने का आदेश दिया है, जो एलोपैथिक चिकित्सकों के समान होगा। यह निर्णय झारखंड सरकार के पशुपालन विभाग के डॉ. रतन कुमार दुबे सहित पांच अन्य पशु चिकित्सकों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया गया। साथ ही अदालत ने पशु चिकित्सकों को डायनामिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (डीएसीपी) का लाभ देने का भी निर्देश दिया।
अदालत का स्पष्ट आदेश
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के छठे वेतनमान की सिफारिशों को अपनाया है, जिसमें यह प्रावधान है कि राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के कर्मियों के समान लाभ मिलना चाहिए। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, पशु चिकित्सकों और एलोपैथिक चिकित्सकों को समान सेवा लाभ प्रदान किए जाने चाहिए।

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि:-
झारखंड सरकार इस संबंध में नियम और प्रावधान तैयार करे।
आदेश का पालन 16 सप्ताह के भीतर सुनिश्चित किया जाए।

याचिकाकर्ता डॉ. रतन कुमार दुबे ने अपनी याचिका में बताया कि वे 1980 से पशु चिकित्सक के रूप में कार्यरत हैं। झारखंड के गठन के बाद एलोपैथिक चिकित्सकों को डीएसीपी का लाभ मिलना शुरू हो गया था। 2009 में आयुष चिकित्सकों को भी हाईकोर्ट के आदेश से यह सुविधा दी गई और उनकी सेवानिवृत्ति आयु भी 65 वर्ष कर दी गई।
इसके बावजूद पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों को न डीएसीपी का लाभ दिया गया और न ही सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाई गई, जिससे उनके साथ अन्याय हो रहा था।

475 पशु चिकित्सकों को राहत
इस फैसले से झारखंड में कार्यरत लगभग 475 पशु चिकित्सकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। यह फैसला न केवल उनके अधिकारों को सुनिश्चित करता है, बल्कि पशुपालन क्षेत्र में बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए उनकी भूमिका को भी मान्यता देता है।
पशु चिकित्सक, ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में पशुधन के इलाज और देखभाल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी सेवाएं अक्सर अनदेखी रह जाती हैं, जबकि वे अर्थव्यवस्था, पशुपालन और समाज के कल्याण में बड़ा योगदान देते हैं। हाईकोर्ट का यह फैसला उनके अधिकारों की रक्षा और न्याय प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
यह फैसला न केवल झारखंड के पशु चिकित्सकों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है। झारखंड सरकार को इस आदेश को समय पर लागू करके इन चिकित्सकों की दशा सुधारने और समाज को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments