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सोमवार, जुलाई 7, 2025
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त्यौहार के समय तबादला नीति बनी किसानों और मजदूरों के आर्थिक संकट की वजह, बिचौलियों पर निर्भर हुए किसान

धान खरीदी में देरी से किसान हुए परेशान, दिवाली और एकादशी पर छाएगा आर्थिक संकट का साया

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ सरकार की तबादला नीति से कोरबा जैसे आदिवासी और औद्योगिक क्षेत्रों में आर्थिक संकट गहरा गया है। चुनाव से पहले नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों में लगातार हो रहे तबादलों के चलते ठेकेदारों और उनके अधीन काम करने वाले मजदूरों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है। त्योहारी सीजन में धन के अभाव में गरीब मजदूरों और किसानों के चेहरे पर मायूसी है।

हाल ही में सरकार ने कोरबा जिला पंचायत के सीईओ का तबादला कर दिया था, लेकिन अब तक नए अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है। इसी तरह, नगर निगम आयुक्त का भी तबादला कर दिया गया है, जो जिला पंचायत सीईओ का कार्यभार भी संभाल रहे थे। इन दोनों महत्वपूर्ण पदों के रिक्त होने से पंचायतों और निगम की सभी फाइलें ठप पड़ी हैं। जिला पंचायत के तहत ग्राम पंचायतों के भुगतान और नगर निगम की फाइलों पर किसी प्रकार का हस्ताक्षर न होने से ठेकेदारों और दिहाड़ी मजदूरों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।

त्योहारी सीजन में आर्थिक कठिनाइयों का बोझ
जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप जायसवाल ने सरकार की इस तबादला नीति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन में भी सरकार ने पदों को रिक्त छोड़ने की लापरवाही बरती है, जिससे गरीब और मजदूर वर्ग पर आर्थिक बोझ और बढ़ गया है। दीपावली और देवउठनी एकादशी जैसे प्रमुख त्योहारों के समय मजदूरों को उम्मीद थी कि उन्हें मेहनत की कमाई मिलेगी, लेकिन फाइलें ठप पड़ने के कारण उन्हें पैसे नहीं मिल पा रहे हैं।

किसानों की मजबूरी और धान खरीदी में देरी
जायसवाल ने सरकार की धान खरीदी नीति पर भी सवाल उठाए हैं। धान खरीदी की तारीख पहले नवंबर थी, जिसे बढ़ाकर अब 15 नवंबर कर दिया गया है। इससे किसानों को अपनी फसल बेचने में देरी हो रही है और उन्हें मजबूरी में बिचौलियों के हाथों औने-पौने दाम पर धान बेचना पड़ रहा है। किसानों के लिए यह त्योहारी सीजन मुश्किल भरा है, क्योंकि देवउठनी एकादशी पर धान की अच्छी कीमत की आशा रहती है। लेकिन इस देरी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

सरकार की अनदेखी से जनता परेशान
जायसवाल ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि तत्काल प्रभाव से जिला सीईओ और निगम आयुक्त के रिक्त पदों पर अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई, तो इस नीति का विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार आम जनता और मजदूरों की कठिनाइयों से अनभिज्ञ है और उनकी समस्याओं को नज़रअंदाज कर रही है।

इस त्योहारी सीजन में सरकार की अदूरदर्शिता ने किसानों और मजदूरों के सपनों को ठेस पहुंचाई है, और उन्हें अपने त्योहार फीके होने का डर सताने लगा है।

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