कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की आवाज अब और बुलंद हो रही है। शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर राज्यभर के शिक्षक 24 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश लेकर अपने हक की लड़ाई में उतरेंगे। यह हड़ताल केवल छुट्टी नहीं, बल्कि उन समस्याओं और मांगों के प्रति शासन का ध्यान आकर्षित करने की एक बड़ी पहल है, जो लंबे समय से अनसुनी हो रही हैं।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के जिला पदाधिकारी प्रमोद सिंह राजपूत ने बताया कि शिक्षकों की मुख्य मांग “मोदी की गारंटी” को पूर्ण रूप से लागू करना है। यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि शिक्षकों की जिंदगी और भविष्य से जुड़ी एक अहम गारंटी है, जिसे लागू करवाने के लिए अब संघर्ष तेज़ हो चुका है।इसके अलावा, पूर्व दिवंगत हुए शिक्षा कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने और लंबित 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता जारी करने की भी मांग है। शिक्षकों का कहना है कि महंगाई भत्ते के एरियर्स को देय तिथि से 9 महीने तक नकद या जीपीएफ खाते में जमा किया जाए। यह मांगें न सिर्फ आर्थिक मदद के रूप में, बल्कि उन परिजनों की भी मदद करेंगी, जिन्होंने अपनों को खो दिया है।
इसके अलावा, पूर्व दिवंगत हुए शिक्षा कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने और लंबित 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता जारी करने की भी मांग है। शिक्षकों का कहना है कि महंगाई भत्ते के एरियर्स को देय तिथि से 9 महीने तक नकद या जीपीएफ खाते में जमा किया जाए। यह मांगें न सिर्फ आर्थिक मदद के रूप में, बल्कि उन परिजनों की भी मदद करेंगी, जिन्होंने अपनों को खो दिया है।
शिक्षकों के इस सामूहिक अवकाश का उद्देश्य सिर्फ अपनी मांगों के लिए आवाज उठाना नहीं है, बल्कि उन परिवारों को भी न्याय दिलाना है, जिनके लिए यह संघर्ष जीवन और भविष्य की नई राह तय करेगा।24 अक्टूबर को जिला मुख्यालय में शिक्षक एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे और प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे, ताकि उनकी आवाज़ सुनी जाए और शिक्षकों की यह संघर्ष यात्रा अपने सही अंजाम तक पहुंचे।
24 अक्टूबर को जिला मुख्यालय में शिक्षक एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे और प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे, ताकि उनकी आवाज़ सुनी जाए और शिक्षकों की यह संघर्ष यात्रा अपने सही अंजाम तक पहुंचे।
शिक्षक समाज के वो स्तंभ हैं, जो देश के भविष्य का निर्माण करते हैं। उनकी मांगें सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार की भी हैं। यह हड़ताल उनके हक और आत्मसम्मान की आवाज है, जो किसी भी समाज के लिए अनिवार्य होती है। अब देखना होगा कि शासन उनकी बात सुनता है या नहीं, लेकिन यह तो तय है कि शिक्षक अपनी आवाज को दबने नहीं देंगे।
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