कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने आज कोरबा के गेवरा जीएम कार्यालय का घेराव किया। इस आंदोलन का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी, जिला अध्यक्ष अतुल दास महंत, और भू विस्थापित संगठन के प्रमुख सदस्यों एवं ड्राइवरों ने किया।
यह विरोध रूंगटा कंपनी के खिलाफ था, जहां कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को न तो उचित वेतन दिया जा रहा था और न ही उन्हें मेडिकल सुविधाएं या अन्य आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही थीं। कर्मचारियों की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, एसईसीएल प्रबंधन, रूंगटा कंपनी के अधिकारी, दीपका थाना प्रभारी और तहसीलदार के साथ त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई।
वार्ता के परिणामस्वरूप, रूंगटा प्रबंधन ने ड्राइवरों और अन्य मजदूरों की 13 सूत्रीय मांगों को स्वीकार कर लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले 5 दिनों के भीतर सभी कंपनी कर्मचारियों को एचपीसी दर पर भुगतान किया जाएगा। इस सफलता के बाद आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त कर दिया गया।
यह घटना मजदूरों की एक बड़ी जीत है, जहां एक गैर-राजनीतिक संगठन और कर्मचारियों की आवाज़ को सुना गया। आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से रखा, जोकि कर्मचारियों की मूलभूत आवश्यकताओं—उचित वेतन और सुविधाओं—से जुड़ी थीं। इस प्रकार के आंदोलन केवल तब सफल होते हैं जब सभी पक्ष निष्पक्ष वार्ता के लिए तैयार होते हैं।
रूंगटा प्रबंधन द्वारा 13 सूत्रीय मांगों को स्वीकार करना इस बात का प्रतीक है कि कर्मचारियों के साथ न्याय होना आवश्यक है। हालांकि, इस आश्वासन को अमल में लाना कंपनी की विश्वसनीयता और श्रमिकों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
समय पर कार्रवाई और पारदर्शिता इस प्रकार की स्थितियों में अहम भूमिका निभाते हैं। मजदूरों को जो भरोसा दिया गया है, उसे कायम रखना अब प्रबंधन की जिम्मेदारी है, ताकि भविष्य में इसी प्रकार के आंदोलनों की आवश्यकता न पड़े।
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