छत्तीसगढ़। आज से ठीक 27 वर्ष पहले, 14 सितंबर 1997 को छत्तीसगढ़ के चांपा में हुआ एक भीषण रेल हादसा हर किसी के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ गया। अहमदाबाद एक्सप्रेस (डाउन 8033) जब हसदेव नदी के पुल पर से गुजर रही थी, तभी अचानक से दुर्घटनाग्रस्त हो गई और ट्रेन की पांच बोगियां पुल से नीचे गिर गईं।
इस दर्दनाक हादसे में रेलवे के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 81 यात्रियों ने अपनी जान गंवाई थी, जबकि 100 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। आज भी चांपा और आस-पास के इलाकों के लोग उस मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। हसदेव नदी के उस पुल पर से गुजरते हुए हादसे की भयावहता आज भी क्षेत्रवासियों के दिलों में जिंदा है।
स्थानीय लोग और प्रशासन इस हादसे की 27वीं बरसी पर सभी मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उन मासूमों की याद में आंखें नम हो जाती हैं, जिन्होंने इस दर्दनाक हादसे में अपनी जान गवांई थी।
विवेचना और निष्कर्ष
यह हादसा भारतीय रेलवे के इतिहास के सबसे भयानक हादसों में से एक था। दुर्घटना के पीछे रेलवे सुरक्षा में लापरवाही और पुल की संरचनात्मक कमजोरियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। हादसे के बाद सुरक्षा के नए मानकों और बेहतर निरीक्षण प्रक्रिया की बात की गई, परंतु सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह की घटनाओं से हमने कुछ सीखा?
आज, 27 साल बाद भी हम उन परिवारों के दर्द को नहीं भूल सकते, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया। यह हादसा हमें रेलवे सुरक्षा की गंभीरता से याद दिलाता है और हर उस जिम्मेदारी की ओर इशारा करता है, जिससे ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
निष्पक्ष और पारदर्शी दृष्टिकोण से देखें तो, यह हादसा न केवल रेलवे की सुरक्षा खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि संरचनात्मक जाँच और रखरखाव कितना महत्वपूर्ण है। हालांकि, बीते वर्षों में सुरक्षा सुधार हुए हैं, लेकिन इस तरह की दुर्घटनाओं से हमें निरंतर सतर्क रहना चाहिए।
सभी दिवंगत आत्माओं को भावपूर्ण श्रद्धांजलि!
(आलेख: राघवेंद्र वैष्णव)
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