रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ की शांत धरती पर हिंसा का काला धब्बा लग गया है। आरंग में हुई पहली मॉब लिंचिंग की घटना ने न केवल प्रदेश को शर्मसार किया, बल्कि मानवता को भी कटघरे में खड़ा कर दिया। तीन निर्दोष मुस्लिम नागरिकों की बेरहमी से हत्या ने समाज के हर वर्ग को झकझोर दिया है।
इस जघन्य अपराध के विरोध में प्रदेश भर में मुस्लिम समाज ने एकजुटता दिखाई। रायपुर में विभिन्न समुदायों ने मिलकर ‘जेल भरो’ आंदोलन चलाया, जिसमें लगभग एक हजार लोगों ने स्वेच्छा से गिरफ्तारी दी। प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए चार संदिग्धों को हिरासत में लिया। लेकिन कुछ हिंदू संगठनों द्वारा आरोपियों के समर्थन में प्रदर्शन ने न्याय की राह में बाधा उत्पन्न की।
इस बीच, रायपुर के भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल का बयान विवादों में घिर गया। उन्होंने इस घृणित हत्याकांड को ‘आत्महत्या’ कहकर न केवल पीड़ित परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, बल्कि समूचे मुस्लिम समाज का भी अपमान किया। यह बयान मानो अपराधियों के हौसले बुलंद करने वाला था।
समाज के बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान से अराजक तत्वों को बल मिलता है। छत्तीसगढ़ जैसे शांतिप्रिय राज्य में ऐसी घटना चिंताजनक है। न्याय की मांग को दबाने के प्रयास लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं।
मुस्लिम समाज अब एकजुट होकर न्याय की मांग कर रहा है। 04 जुलाई को रायपुर में आयोजित होने वाली महासभा में पूरे प्रदेश से लोग जुटेंगे। वे आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी और उन पर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग करेंगे।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं। हमें जाति, धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर न्याय की आवाज बुलंद करनी होगी। तभी हम एक सभ्य और समतामूलक समाज का निर्माण कर पाएंगे।
छत्तीसगढ़ में मानवता शर्मसार: मॉब लिंचिंग पर राजनीतिक बयानबाजी, 4 जुलाई को प्रदेश व्यापी प्रदर्शन!
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