आंध्र प्रदेश (पब्लिक फोरम)। कोंडाडोरा आदिवासी समुदाय पीढ़ियों से आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले के चिदिकडा मंडल के कोणाम रेवेन्यू सर्वे नंबर 275, 287 में 17 एकड़ 78 सेंट सरकारी जमीन पर खेती कर रहा है। हालांकि, खेती करने वाले आदिवासियों को पट्टे देने के बजाय, गैर-आदिवासियों को डी-फॉर्म पट्टे मिल गए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि आधिकारिक रिकॉर्ड में जमीन का क्षेत्रफल 17 एकड़ 78 सेंट है, जबकि गैर-आदिवासियों को 32 एकड़ 51 सेंट का पट्टा जारी किया गया है।
आदिवासी वर्षों से सरकार से जांच कराने और उनकी खेती के लिए जमीन का पट्टा जारी करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, स्थानीय राजस्व अधिकारी संभवत: गैर-आदिवासियों के राजनीतिक और वित्तीय दबाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।
पिछले साल, गैर-आदिवासियों ने 19 आदिवासियों और राजस्व अधिकारियों के खिलाफ चोडावरम सीनियर सिविल जज की अदालत में मामला दर्ज कराया था। वकील को काम पर रखने के बावजूद, आदिवासियों को अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ा, जबकि आवश्यक राजस्व अधिकारी मौजूद नहीं थे। कई स्थगन के बाद, अदालत ने उनकी लंबी अनुपस्थिति के कारण सरकारी अधिकारियों को बाहर कर दिया। इससे अदालत में गैर-आदिवासी पक्ष को मजबूती मिलेगी।
इसके जवाब में, आदिवासियों ने चीदिकडा के तहसीलदार को याचिका दायर कर मामले पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया है। वे सरकारी संपत्ति की रक्षा करने के लिए अधिकारियों के कर्तव्य पर जोर देते हैं।
अखिल भारतीय कृषि और ग्रामीण श्रम संघ के राष्ट्रीय सचिव पीएस अजय कुमार ने याचिका दाखिल करते समय नरसिपट्टम राजस्व मंडल अधिकारी और अनकापल्ली जिला कलेक्टर की संलिप्तता को उजागर किया।
80 वर्षीय कोंडा डोरा आदिवासी बुजुर्ग ने जिला कलेक्टर से मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और राजस्व अधिकारियों को अदालती कार्यवाही में शामिल होने का निर्देश देने की अपील की है। पीएस अजय कुमार ने सरकार की त्वरित कार्रवाई और कानूनी सहारे की उम्मीद जताई है।
Recent Comments