पटना (पब्लिक फोरम)। 01. लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता: केंद्रीय कमेटी ने लोकसभा चुनाव परिणामों का स्वागत किया, जो मोदी की तानाशाही और भाजपा की पूर्ण राजनीतिक वर्चस्व कायम करने की कोशिशों के खिलाफ जनादेश के रूप में सामने आए हैं। पार्टी ने कॉमरेड राजाराम सिंह और कॉमरेड सुदामा प्रसाद को काराकाट और आरा से जीत की बधाई दी और उम्मीद जताई कि ये 8 सांसद संसद में जनता की आवाज उठाएंगे। अगिआओं उपचुनाव में कॉमरेड शिव प्रकाश रंजन की जीत पर जनता का धन्यवाद भी व्यक्त किया गया।
02. एनडीए के खिलाफ एकजुटता: केंद्रीय कमेटी ने एनडीए के खिलाफ मजबूत संघर्ष चलाने के लिए इंडिया गठबंधन के प्रयासों की सराहना की और सभी राजनीतिक पार्टियों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने का संकल्प लिया।
03. ओडिशा में सत्ता परिवर्तन: ओडिशा में भाजपा के सत्ता में आने पर केंद्रीय कमेटी ने इसे नवीन पटनायक के 24 साल के कार्यकाल के अंत के रूप में देखा और भाजपा की कॉरपोरेट समर्थक सरकार की आलोचना की। लोकतंत्र समर्थक ताकतों से इसके खिलाफ व्यापक एकता और संकल्प के साथ प्रतिवाद करने का आह्वान किया।
04. अयोध्या के खिलाफ कुटिल प्रतिक्रिया: केंद्रीय कमेटी ने फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सपा के दलित उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की जीत के बाद अयोध्या के लोगों के खिलाफ भाजपा समर्थकों और दक्षिण पंथी ईकोसिस्टम की कुटिल प्रतिक्रिया की निंदा की।
05. ईवीएम पर सवाल: 2024 के लोकसभा चुनावों में ईवीएम पर उठे सवालों के जवाब देने के लिए निर्वाचन आयोग से सड़कों पर और अधिक ऊर्जावान हस्तक्षेपों की जरूरत पर जोर दिया।
06. स्टॉक मार्केट हेराफेरी: एग्जिट पोल और नरेंद्र मोदी व अमित शाह के बयानों के चलते हुई स्टॉक मार्केट हेराफेरी की जांच की सार्वजनिक मांग का समर्थन किया गया।
07. नीट परीक्षा में भ्रष्टाचार: नीट परीक्षा में भीषण भ्रष्टाचार और प्रतियोगी परीक्षाओं के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया गया।
08. दमनकारी कानूनों के खिलाफ संघर्ष: अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने की निंदा की और दमनकारी क़ानूनों के खात्मे के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।
09. फासीवादी राजनीति की निरंतरता: नयी सरकार के कुछ ही हफ्तों के भीतर हुए दमनकारी घटनाओं को फासीवादी राजनीति की निरंतरता के रूप में चिन्हित किया और मोदी हुकूमत के खिलाफ प्रतिरोध जारी रखने का आह्वान किया।
10. नए फौजदारी कानूनों का विरोध: नए फौजदारी कानूनों का नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों पर विनाशकारी प्रभाव बताते हुए इन्हें वापस लेने की मांग की।
11. धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अमानवीयता: धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हो रहे अन्याय के खिलाफ व्यापक समाज से एकजुटता की अपील की।
12. शिवराज सिंह चौहान की नियुक्ति के खिलाफ आपत्ति: किसान संगठनों द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में नियुक्ति पर जताई गई आपत्तियों का समर्थन किया गया।
13. तीव्र गर्मी की लहर से निपटने की मांग: प्रधानमंत्री से तीव्र गर्मी की लहर से निपटने के लिए समग्र एक्शन प्लान की मांग की और मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की अपील की।
14. फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता: फिलिस्तीन के प्रति गहरी एकजुटता व्यक्त की और इज़राइल के जनसंहारी परियोजना का समर्थन न करने की मांग की।
15. प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा: कुवैत में अग्निकांड में मारे गए भारतीय मजदूरों के प्रति शोक व्यक्त किया और सरकार से घायलों के इलाज व मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग की।
16. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर हमले: छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार द्वारा आदिवासियों पर हो रहे हमलों की आलोचना की और जनता से उनके साथ खड़े होने का आह्वान किया।
17. मनरेगा और आवास योजना: मनरेगा के आवंटन को 2.5 लाख करोड़ रुपये करने और शहरी व ग्रामीण गरीबों के लिए समग्र आवासीय योजना बनाने की मांग की।
इन प्रस्तावों के माध्यम से भाकपा (माले) लिबरेशन ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर अपनी चिंताओं और संघर्ष की दिशा को स्पष्ट किया है।
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