नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय चालक दल संघ (एआईसीसीटीयू) सूचना प्रौद्योगिकी/आईटीईएस/स्टार्टअप्स/एनीमेशन/गेमिंग/कंप्यूटर ग्राफिक्स/दूरसंचार/बीपीओ/अन्य ज्ञान-आधारित उद्योगों को औद्योगिक नियुक्ति (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 से अतिरिक्त पांच वर्षों के लिए छूट प्रदान करने संबंधी कर्नाटक सरकार के 10 जून 2024 के फैसले का कड़ा विरोध करता है। यह छूट न केवल विवादास्पद है बल्कि श्रमिकों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार के दायित्वों का भी उल्लंघन करती है।
विधिक प्रावधानों का उल्लंघन
यह अनुमान लगाया जाता है कि कर्नाटक में लगभग 20 लाख से अधिक कर्मचारी इस छूट से प्रभावित होंगे। उक्त अधिनियम कर्मचारियों को न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें काम के घंटों को विनियमित करना और मनमाने ढंग से बर्खास्तगी से बचाना शामिल है। छूट को जारी रखने से कर्मचारियों की कार्य स्थितियों में गंभीर गिरावट आ सकती है और शोषण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
गौरतलब है कि स्थायी आदेशों से छूट को पूर्व में भी कुछ शर्तों के अधीन दिया गया था। उदाहरण के लिए, संगठनों को यौन उत्पीड़न रोधी समितियों का गठन करना और शिकायत निवारण प्रणालियों को लागू करना आवश्यक था। हालांकि, एआईसीसीटीयू का आरोप है कि इन शर्तों को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है, जिससे छूट का उद्देश्य विफल हो गया है।
संवैधानिक दायित्वों की उपेक्षा
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 42 राज्य को काम के न्यायपूर्ण और मानवीय परिस्थितियों को सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपता है। वहीं अनुच्छेद 43A राज्य को उद्योग के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने का आदेश देता है। कर्नाटक सरकार का यह कदम स्पष्ट रूप से इन संवैधानिक जनादेशों का उल्लंघन है।
एआईसीसीटीयू का मानना है कि यह छूट न केवल श्रमिकों के लिए हानिकारक है बल्कि यह सरकार की श्रमिक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़ा करता है। डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा दी गई चेतावनी को याद दिलाते हुए, एआईसीसीटीयू ने कहा कि यदि उद्योगों को अनियमित छोड़ दिया जाता है, तो इसका परिणाम “निजी नियोक्ताओं के तानाशाही शासन” के रूप में सामने आएगा।
ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) ने कर्नाटक सरकार से उक्त अधिसूचना को तुरंत वापस लेने और आईटी क्षेत्र में सभी कर्मचारियों के लिए उचित श्रम सुरक्षा उपायों को लागू करने की मांग की है।
कर्नाटक सरकार का IT क्षेत्र को श्रम कानूनों से छूट देना: विधिक और नैतिक दायित्वों का उल्लंघन; एआईसीसीटीयू !
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