रायपुर (पब्लिक फोरम)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गौ तस्करी के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के दो व्यक्तियों की हत्या और एक व्यक्ति को मरणासन्न करने की कड़ी निंदा की है। माकपा ने इस घटना को मॉब लिंचिंग नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या करार देते हुए अपराधियों पर हत्या का मुकदमा (धारा 302) दर्ज करने की मांग की है। इसके साथ ही, पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की भी अपील की है।
माकपा राज्य सचिवमंडल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस घटना के तथ्यों से स्पष्ट है कि यह घटना मॉब लिंचिंग की नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या की है। पार्टी ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह हत्यारों को बचाने के उद्देश्य से इसे गौ तस्करी और मॉब लिंचिंग का रूप देने की कोशिश कर रही है और अपराधियों पर हल्की धाराएं लगाई जा रही हैं। यह रवैया पुलिस प्रशासन के सांप्रदायिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है।
माकपा राज्य सचिव एम. के. नंदी ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रकों से गायों का नहीं, बल्कि भैंसों का परिवहन किया जा रहा था। भाजपा सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि किस कानून के तहत भैंसों का व्यापार प्रतिबंधित है? अपराधियों के हिंदूवादी संगठनों से जुड़े होने के तथ्य भी सामने आ चुके हैं और वे गाय के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ समाज में आतंक फैला रहे हैं। माकपा नेता ने आरोप लगाया है कि ऐसे सांप्रदायिक तत्वों को भाजपा सरकार का सीधा संरक्षण प्राप्त है और इसी कारण भाजपा ने इन जघन्य हत्याओं पर चुप्पी साध रखी है।
उन्होंने सवाल उठाया है कि उत्तरप्रदेश के नागरिक छत्तीसगढ़ में सुरक्षित क्यों नहीं हैं, जबकि दोनों राज्यों में “डबल इंजन” की सरकार है? वास्तविकता यह है कि भाजपा की विचारधारा धर्म के आधार पर नफरत की राजनीति करने और देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने पर आधारित है। इसलिए भाजपा शासन में कोई भी नागरिक और उसके अधिकार सुरक्षित नहीं हैं।
माकपा ने पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने, उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और फास्ट ट्रैक अदालत के माध्यम से अपराधियों को शीघ्र दंडित करने की मांग की है। इसके साथ ही, माकपा ने प्रदेश में मवेशियों के व्यापार को संरक्षण देने और अल्पसंख्यक समुदाय की आजीविका की सुरक्षा की भी मांग की है।
मॉब लिंचिंग नहीं, सुनियोजित हत्या: अपराधियों पर हो 302 का मुकदमा, पीड़ितों को मिले उचित मुआवजा और सरकारी नौकरी
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