कार्ल मार्क्स के प्रति
______________________
शोषण के पूर्ण ख़ातमे के थे प्रथम प्रवक्ता कार्ल मार्क्स
उनकी थ्योरी में क्रांति हर जगह ले है रही जीवंत सांस
हर देश के पूंजीवादी शासकों ने न दिया उनको टिकने
निर्वासन पर निर्वासन में वो रहे सदैव अजेय बने
सामंतों पूंजीवादियों के भीतर का भय हैं कार्ल मार्क्स
देखते हैं वो उनकी थ्योरी में ख़ुद का ध्वंस ख़ुद का विनाश
शोषण के हर हथकंडों को कर दिया मार्क्स ने बेनक़ाब
कोई हथकंडा कर न सका उनसे अपना कारगर बचाव
धर्मो ईश्वर के होने को उनकी थ्योरी ने ललकारा
शोषण के पक्ष में इनके होने को दृढ़ता से स्वीकारा
वैज्ञानिक समझ तर्क को रख अपने को मार्क्स ने मनवाया
गंभीर अध्ययन लेखन में ख़ुद को उनने हर पल पाया
दुनिया को तथागत,कार्ल मार्क्स , फ्राइड ने है सम्वृद्ध किया
ये ज्योति स्तंभ हैं सचमुच के,सच्चा प्रकाश इनने है दिया
दुनिया इनकी रौशनी में ही सच्चे अर्थों में गति पाई
सम्मिलित ज्योतियां ये सारी दुनिया पर हैं अब तक छाई
है चमत्कार, मार्क्सवाद का इस धरती के ऊपर आना
शोषण विहीन साम्यवाद का यह लाल पताका फहराना
चीज़ों को सही तरह से जो, सिर के बल पर थीं
खड़ी हुईं
उनको सीधा कर के रखना पैरों पे खड़ा बस कर जाना
थे कार्ल मार्क्स उन विरलों में जिननें विपदाओं से खेला
प्रिय से प्रिय का मरना देखा छाती पर वज्रों को झेला
एकलौता कोट बेच कर भी उनने ज़रूरतें की पूरी
रास्ते बनाये विघ्नों में उनको न डिगाई मजबूरी
उनके ताबूत को कंधे देने महज़ लोग थे पांच सात
जनहित में जिननें कभी न समझा दिन को दिन रात को रात
उनकी थ्योरी को,उनको, उनके विरोधी तक अब रहे मान
उन महान सिद्धान्तकार को कर रहा नमन हूं ससम्मान।
वासुकि प्रसाद “उन्मत्त”
कार्ल मार्क्स के प्रति
RELATED ARTICLES
Recent Comments