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अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ‘ऐपवा’ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कोलकाता में संपन्न: लिए गए कई अहम फैसले

कोलकाता (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (AIPWA) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 4-5 जनवरी 2024 को कोलकाता में संपन्न हुई। बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श कर फैसले लिए गए।
1. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री राम मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं जिसके लिए 1 जनवरी से अभियान शुरू हो चुका है। 16 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा पूजा अर्चना के साथ यह अभियान और तेज हो जाएगा और 22 जनवरी के बाद भी जारी रहेगा ताकि जिसे चुनाव में भुनाया जा सके।
अब तक देश में 26 जनवरी को राजकीय आयोजन होता था जिस दिन अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद देश को अपना संविधान मिला था जिसमें सभी के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समता और भाईचारा की बात थी लेकिन अब कहा जा रहा है कि 22 जनवरी को राष्ट्रीय गर्व के रूप में सभी लोग मनाएं। बिना किसी वैधानिक बदलाव के ही देश को एक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र से एक हिंदू गणतंत्र में बदला जा रहा है जिसमें महिलाओं का दर्जा पुरुषों से नीचे होगा। अन्य धर्म को मानने वाले लोग दोयम दर्जे के नागरिक होंगे।
2. दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद देश भर में महिला आजादी और अधिकारों को लेकर आंदोलन फूट पड़ा था। अगले डेढ़ वर्षों तक यह आंदोलन विभिन्न रूपों में जारी रहा। तत्कालीन सरकार को वर्मा कमीशन बनाना पड़ा जिसने कानूनों में सुधार व अन्य कदम उठाने की सिफारिश की। इस दौर में भाजपा ने महिला हितैषी होने का दिखावा किया और प्रति वर्ष 2 करोड़ रोजगार, महंगाई, भ्रष्टाचार से मुक्ति, किसानों-मजदूरों की बेहतरी और महिलाओं के अधिकार व सम्मान की बात कर चुनाव जीतकर सत्ता में आई थी।
सत्ता में आते ही इसने अपने साम्प्रदायिक फासीवादी चरित्र के अनुसार महिलाओं, गरीबों और अल्पसंख्यकों को निशाने पर लिया। दूसरे कार्यकाल में इसका यह हमला और तेज हो गया है। मणिपुर की घटना, बिल्कीस बानो के बलात्कारियों की रिहाई, उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर भाजपा विधायकों, नेताओं द्वारा बलात्कार, उत्पीड़न जैसी अनगिनत घटनाएं सामने आईं।
प्रथम कार्यकाल के शुरुआती दिनों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसा नारा जिस हरियाणा से दिया गया आज उसी हरियाणा की महिला पहलवानों को न्याय नहीं मिला। दुनिया में देश का मान बढ़ाने वाली इन महिला खिलाडियों द्वारा खेल सम्मान वापस करने जैसा कदम उठाना पड़ा फिर भी बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया गया। बीएचयू की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के आइ टी सेल के प्रमुख कुणाल पांडेय और दो अन्य पदाधिकारी गुंडों को एफआईआर के बावजूद गिरफ्तार करने के बदले मध्यप्रदेश में भाजपा का चुनाव प्रचार करने भेज दिया गया। इस तरह के अनेक बलात्कारी और यौन उत्पीड़क आज भाजपा में शीर्ष पदों पर हैं।
कोविड काल के संकट का इस्तेमाल कर श्रम कानूनों को बदल दिया गया था। विरोध के बावजूद इसे धीरे-धीरे लागू किया गया है और मजदूर महिलाओं के अबतक प्राप्त अधिकार खत्म किए जा रहे हैं। नई पीढ़ी की जागरुक कामकाजी महिलाओं द्वारा पीरियड लीव की मांग उठ रही है जिसे स्मृति इरानी बड़ी धूर्तता से खारिज कर रही हैं।
पूंजीपतियों के मुनाफे और लूट के लिए आर्थिक नीतियों को बदल दिया गया है। देश के तमाम संसाधनों, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों आदि को इनके हवाले कर दिया गया है। देश को कर्ज के बोझ से दबा है।आइ एम एफ चेतावनी जारी कर रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के निजीकरण को तेज कर दिया गया है। महंगी फीस के कारण गरीब लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना मुश्किल हो गया है। पाठ्यक्रमों को बदला जा रहा है।
महिला आरक्षण के नाम पर महिलाओं को छला गया और संसद में सवाल उठाने वाली महिला सांसद की सदस्यता समाप्त कर उन्हें संसद से बाहर कर दिया गया। भारतीयकरण के नाम पर कानूनों, नीतियों और योजनाओं में ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं जिससे महिलाओं को ‘नियंत्रण’ में रखा जाए और आगे आरएसएस की हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना के अनुरूप महिलाओं को चलने को बाध्य किया जा सके। देश को तानाशाही और पुलिस राज में तब्दील किया जा सके
राममंदिर के शोर में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई जैसे तमाम मुद्दों को दबाने की कोशिश हो रही है। नरेंद्र मोदी को उद्धारक बताने और अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट करने, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दलित महिला के घर चाय पीने, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना और 5 किलो अनाज योजना को राम राज्य के रूप में प्रचारित करने वाले खबरों, लेखों और वीडियो से हर तरह के प्रचार माध्यमों को भर दिया गया है।
3. 3 जनवरी से 9 जनवरी, ( सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन से लेकर फातिमा शेख के जन्मदिन तक) ऐपवा द्वारा हर वर्ष ‘साझी विरासत, साझा संघर्ष’ अभियान लिया जाता है। इस वर्ष इसे 16-21 जनवरी तक विशेष रूप से चलाने का निर्णय लिया गया।
इस दौर में जब महिलाओं के बीच साम्प्रदायिक विभाजन पैदा करने और मनुस्मृति को स्वीकार्य बनाने के लिए भाजपा ने पूरी ताक़त लगा दी है तब हमें सावित्री बाई फुले की विरासत को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने की कोशिश करनी होगी।
सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख ने न केवल शिक्षा के लिए बल्कि महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, जातीय उत्पीड़न, धर्म के नाम पर अंधविश्वासों और कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।19वीं सदी की इन समाज सुधारकों ने तमाम अवहेलनाओं – विरोधों को झेलकर भी अपने समय की वर्जनाओं को तोड़ा और आगे का रास्ता तैयार किया था। ये हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
16 से 21जनवरी तक चलने वाले इस अभियान में 16 जनवरी को सभी राज्यों में प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। बी एच यू की छात्रा के बलात्कारियों के संरक्षकों को सजा,बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार करने, महिलाओं पर हिंसा रोकने, समान काम के लिए समान मजदूरी, महाजनी प्रथा के नये केन्द्र के रूप में पनप रहे माइक्रो फाइनेंस संस्थानों को नियंत्रित करने, मनरेगा में महिलाओं को 200 दिन काम,600मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि, स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम मजदूरी के बराबर मानदेय, रसोई गैस की कीमत ₹500 करने, लड़कियों के लिए शिक्षा मुफ्त करने समेत अन्य स्थानीय सवालों को उठाया जाएगा। 17 जनवरी से 21 जनवरी तक गांव-गांव में महिला बैठक, गोष्ठी, स्थानीय सम्मेलन आदि कार्यक्रम किया जाएगा।
4. 26 जनवरी 2024 को 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्थानीय स्तर पर आयोजित संविधान की प्रस्तावना के पाठ में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शामिल करवाया जाएगा।
5. 12 फरवरी ऐपवा का 30वां स्थापना दिवस को पूरी तैयारी से मनाना है। बिहार और झारखंड में राज्य स्तरीय प्रदर्शन होगा। उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में जिला स्तर पर प्रदर्शन होगा
6. अगर समय पूर्व चुनाव की घोषणा नहीं हुई तो 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मुख्य कार्यक्रम 6 मार्च को दिल्ली में होगा। इसके लिए दिल्ली और दिल्ली के निकट के राज्यों पर विशेष जोर देना है।
7. ऐपवा की अंग्रेजी पत्रिका वीमेंस वायस को ऑनलाइन पत्रिका के रूप में निकालने पर चर्चा हुई। ऐपवा की वेबसाइट भी जल्दी ही शुरू की जाएगी।

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