रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। प्रभारी जिला आयुर्वेद अधिकारी, रायगढ़ ने साइनूसाइटिस बीमारी के लक्षण, उससे बचाव व उसके इलाज के संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि साइनूसाइटिस क्या है, दरअसल हमारी खोपड़ी में बहुत सारी कैविटीज (खोखले छेद) होते है। ये हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और सांस लेने में मदद करती है। इन छेदों को साइनस कहते है। अगर इन छेदों में कफ भर जाता है तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इस समस्या को साइनूसाइटिस कहते है। सामान्य बोलचाल में साइनस भी कहा जाता है। हर साल बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आते हैं, या कहें कि हर साल इसके नए मामले आते है। जिन लोगों को एलर्जिक साइनस होता है, उन्हें पोलन सीजन और सर्दियों में स्मॉग होने पर समस्या बढऩे का खतरा रहता है। पहले जुकाम और प्रदूषण की वजह से गले में खिचखिच पैदा होती है। इसी के साथ नाक बंद होन, नाक बहना और बुखार जैसी शिकायतें होने लगती है। अगर ये लक्षण कई दिनों तक बने रहें तो ये एक्यूट साइनस हो सकता है। अगर यह दो तीन महीने से ज्यादा समय तक बनी रहे तो क्रॉनिक साइनस हो सकता है।
क्यों होता है साइनूसाइटिस?
साइनस का मुख्य कारण साइनस के अंदर की चिपचिपी झिल्ली में सूजन आ जाता है। साइनस की झिल्ली में सूजन की कई सारी वजहें है, मसलन नाक की हड्डी का टेड़ा होना या फिर नाक की हड्डी बढ़ जाना बढ़ता हुआ प्रदूषण धूल मिट्टी, एलर्जी, दांतों में दर्द, दूषित पानी का सेवन आदि जो साइनस की वजह बन जाते है।
इसकी पहचान कैसे करें?
साइनस होने पर आंखों के दोनो तरफ नाक, दांत, भौंहों के बीच में तेज दर्द होता है। ठीक तरह से सांस न ले पाने की वजह से माथे पर तेज दर्द होता है और आवाज साफ नहीं निकलती। किसी चीज की खुशबू महसूस नहीं होती है, कफ की वजह से नाक बंद हो जाने या नाक बहते रहने की समस्या दिखती है। मुंह से दुर्गंध आना और दांतों में दर्द की समस्या होती है। खांसी आने व कफ जम जाने की समस्या होती है।
बचाव ही इलाज
भले ही साइनस दिखने में छोटी सी बीमारी लगे, लेकिन अगर इस पर ध्यान न दिया जाये तो यह गंभीर रूप ले सकती है। साइनस का कोई ठोस इलाज नहीं है। नाक की हड्डी बढ़ जाने की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। आमतौर पर डॉक्टर नाक की बढ़ी हुई हड्डी का ऑपरेशन कराने की सलाह देते है। लेकिन यह कतई जरूरी नहीं कि ऑपरेशन करवाने के बाद समस्या का समाधान हो ही जाए। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नियमित तौर पर कुछ देर के लिए भस्त्रिका, कपालभाति और अनुलोम-विलोम को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
सावधानियां एवं कुछ घरेलू उपाय
साइनूसाइटिस से परेशान व्यक्ति को कई सावधानियां बरतनी चाहिए। ठंडा पानी एवं कोल्ड ड्रिंक्स ना पियें, दही, आचार एवं खटाई ना खाएं, विटामिन सी के लिए आंवला ले सकते है क्योंकि विटामिन सी इसके उपचार में बहुत उपयोगी है। फलों को खाकर पानी न पिएं, क्योंकि इससे शरीर में कफ बढ़ता है और वह साइनसाइटिस और अस्थमा जैसी समस्या में बहुत उपयोगी है। फलों को खाकर पानी न पिएं, क्योंकि इससे शरीर में कफ बढ़ता है और वह साइनसाइटिस और अस्थमा जैसी समस्या उत्पन्न करता है। प्रदूषण से बचे, धूल और धुएं वाली जगह पर जाएं तो रूमाल से मुंह ढंककर जाएं। एसी कूलर का अधिक प्रयोग करने से बचें। गर्म जगह से आकर एकदम ठंडी जगह पर ना जाएं, यानी एसी में जाने से बचें। ठंडे पानी से स्नान ना करें और नहाकर पंखे की हवा में न आएं। सुबह उठकर खाली पेट ठंडा पानी न पिएं, क्योंकि यह भी कफ बढ़ता है। अपने पॉस्चर को ठीक रखें, रीढ़ को झुकाकर न बैठें। साइनूसाइटिस की वजह से नाक बह रही है तो स्टीम लेना बेहद फायदेमंद रहेगा। बर्तन में गर्म पानी लेकर तौलिए ले मुंह ढंक ले। पानी के भाप से नाक पूरी तरह खुल जाएगी और आपको आराम मिलेगी। गर्म लिक्विड पियें। गर्म लिक्विड पीने से बंद नाक खुल जाती है। ध्यान रहे कि साइनस की समस्या में गलती से भी अल्कोहल न लेवें।
साइनूसाइटिस बीमारी से बचाव एवं इलाज के संबंध में दी गई जानकारी
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