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कोरबा: 24 जुलाई को एनटीपीसी के गेट पर ताला लगाकर आंदोलन करेंगे भूविस्थापित

कोरबा (पब्लिक फोरम)। 24 जुलाई 2023 को NTPC के गेट पर ताला लगाकर एनटीपीसी प्रबंधन कोरबा के खिलाफ उग्र आंदोलन व विरोध प्रदर्शन किया जायेगा। उक्त आंदोलन में ग्राम चारपारा के समस्त भू-विस्थापित शामिल होकर अपने अधिकार, नौकरी, मुआवजा और क्षतिपूर्ति के लिए आंदोलन को और तेज करेंगे।

प्रभावित भू-विस्थापितों में राजन कुमार पटेल, गणेश कुमार केवट, घसियाराम केवट और सुरज कुमार केवट, रामायण प्रसाद केवट, व मथुरा राम केवट अन्य अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही एन.टी.पी.सी. के समस्त भू-विस्थापित होकर आंदोलन में शामिल रहेगें।

ग्राम चारपारा के भू विस्थापितों ने बताया कि हमारे स्वामित्व व आधिपत्य की भूमि को एन.टी.पी.सी.कोरबा द्वारा 1978-79 में इन शर्तों के साथ अधिग्रहित किया गया था कि भू-विस्थापितों को अधिग्रहित भूमि के एवज में नौकरी, मुआवजा प्रदान किया जायेगा। जैसे-जैसे प्लांट का विस्तार होगा, भू-विस्थापितों को उनके योग्यतानुसार एन.टी.पी.सी.में नौकरी प्रदान की जायेगी। इस संबंध में एन.टी.पी.सी.द्वारा आम सूचना दिनांक 04.09.1979, 22.01.1981 एवं 12.02.1987 को जारी भी किया गया था।

एन.टी.पी.सी. के द्वारा अब तक 300 भू-विस्थापितों के परिवारों में से केवल 38 परिवार के सदस्यों को ही नौकरी दी गई है। बाकी बचे हुए भू विस्थापित परिवार के सदस्यों को संयंत्र के विस्तार होने के बाद भी आज तक नौकरी नहीं दिया गया है। ये शेष भू-विस्थापित परिवार आज भी नौकरी से वंचित हैं। वे इस उम्मीद पर थे कि एन.टी.पी.सी.द्वारा उन्हें, उनकेे भूमि के एवज में नौकरी दी जायेगी लेकिन एन.टी.पी.सी.द्वारा भू-विस्थापितों को नौकरी नहीं दिए जाने से भू-विस्थापितों को जॉब के साथ अपने जमीन से भी वंचित होना पड़ा है।

बिलासपुर भू-अर्जन अधिकारी द्वारा प्र.क्र. 47/अ-82/1976-77 दिनांक 30.03.1978 को 1640 एकड़ भुमि एवं प्र.क्र. 7/अ-82/1977-78 दिनांक 16.10.1979 को 47.32 एकड़ भूमि का मुआवजा प्रदान किया गया था। 05 ग्रामों का जिसमें ग्राम चारपारा, गेरवा, दर्रीखार, नगोईखार, टांगामार आदि गांवों की भूमि 2000 MW के लिए अधिग्रहण किया गया था। उसके पश्चात बची शेष भूमि न्यायालय भू-अर्जन अधिकारी कोरबा के द्वारा 10 प्रकरण का अवार्ड जारी किया गया और आज दिनांक तक राज प्रकाशन भी नहीं हुआ है और न ही उनका मुआवजा मिला है।

बताया गया है कि एन.टी.पी.सी. के द्वारा शासन प्रशासन को अंधेरे में रखकर जमीन का आबंटन कराया गया है। पूर्व में सन 1979 में ग्राम दर्रीखार में बैठक की गई जिसमें अनुविभागीय अधिकारी कोरबा, एन.टी.पी.सी.प्रबंधन, बालको प्रबंधन, सी.एस.ई.बी. प्रबंधन और डब्लू.सी.एल. प्रबंधन के बीच में चर्चा करके यह तय की गई थी कि रकबे से अधिक जमीन लिया जायेगा तो कास्तकारों को बता दिया जायेगा। लेकिन जिला प्रशासन व एन.टी.पी.सी.प्रबंधन ने आज तक कोई सूचना नहीं दिया। बल्कि ग्राम चारपारा के भू विस्थापितों को उनके बचे हुए जमीनों की मांग करने पर उन्हें गुमराह किया गया और वे भूविस्थापित तहसील कार्यालय व कलेक्टर कार्यालय के चक्कर ही काटते रहे हैं।

पूर्व में कलेक्टर कोरबा तथा महामहिम राष्ट्रपति के आदेशानुसार एन.टी.पी.सी.प्रबंधन के द्वारा भूविस्थापित राजन कुमार पटेल को उनके परिवार के कुछ जमीन का रिकार्ड तो दिया गया किंतु बचे हुए जमीन का रिकार्ड व मुआवजा आज तक नहीं दिया गया। इसी प्रकार घसिया राम केवट, गणेश कुमार केवट, सुरज कुमार केवट और रामायण प्रसाद केवट व मथुरा राम केवट को भी कुछ जमीन का रिकार्ड दिया गया लेकिन बचे हुए जमीन का रिकार्ड व मुआवजा नहीं दिया गया। राजस्व रिकार्ड में उनके परिवार का नाम लिखा है लेकिन एन.टी.पी.सी. प्रबंधन ने कूट रचित कर अन्य के नाम में चढ़ा दिया है। भू विस्थापितों ने बताया कि समाधान की उम्मीद में बरसों बीत चुके उनके विस्थापन, मुआवजा, नौकरी, जमीन अधिग्रहण संबंधी इस ज्वलंत समस्या के समाधान के लिए अब उनके पास में आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।

इन तमाम विवादों के निराकरण की मांग को लेकर एनटीपीसी के भूविस्थापितों के द्वारा विगत 22 अप्रैल 2023 से लगातार, अनिश्चितकालीन धरना-आंदोलन किया जा रहा है। इस आंदोलन को जिले के विभिन्न जन संगठनों, श्रमिक संगठनों व राजनीतिक दलों का समर्थन भी प्राप्त है। बावजूद इसके एनटीपीसी प्रबंधन की इस घोर लापरवाही एवं हठधर्मिता पर हस्तक्षेप करके, एनटीपीसी से प्रभावित भूविस्थापितों के दशकों पुराना लंबित मांगों के निपटारा के संबंध में ना तो जिला प्रशासन के तरफ से कोई सार्थक पहल किया जा रहा है, और ना ही जिले के बड़े-बड़े नामधारी जनप्रतिनिधियों की तरफ से ही कोई प्रयास किया गया। लगता है कि उद्योग, विस्थापन, मुआवजा नौकरी-रोजगार व प्रदूषण जैसे जनहित से जुड़े ज्वलंत मुद्दों के संबंध में सुधि लेने की उनके पास जरा भी फुर्सत नहीं है।

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