मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024
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पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना के विरोध में उतरे दक्षिणी गुजरात के हजारों आदिवासी

लाखों आदिवासी परिवार हो जायेंगे विस्थापित: लड़ो या मरो की संकल्प के साथ आये आंदोलन की राह पर

गुजरात/कापरड़ा (पब्लिक फोरम)। गुजरात के तीनों नदियों पार, तापी और नर्मदा को जोड़ने और 7 विशाल जलाशयों (डैम) की निर्माण मुखत: वलसाड, डांग, तापी और कुछ आदिवासी बहुल जिलों में किया जाएगा। इनमें से कुछ डैम ऊंचाई में सरदार सरोवर डैम (नर्मदा) से कुछ कम जरूर हैं पर चौड़ाई में दो से अढ़ाई गुना अधिक है।
इन डैमों की निर्माण से पूरे दक्षिण गुजरात की आदिवासी विस्तार तबाह हो जाएगा।

लाखों परिवार विस्थापित हो जाएगा। लाखों आदिवासी परिवारों के पास खेती की पुस्तैनी जमीनों की कोई भी कागजात नहीं हैं। उन्हें मुआबजा के फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगा। ऊपर से यह “पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना” 5 वीं अनुसूची में शामिल इस वन क्षेत्र की पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुचायेगा। इन सब भयावह परिस्थितियों के मद्देनजर दक्षिणी गुजरात के विभिन्न आदिवासी संगठनों तथा आदिवासी नेताओ की पहल पर विरोध रैली निकालकर इस प्रोजेक्ट के विरोध में जोरदार विरोध दर्ज किया गया।

रैली प्रदर्शन के बाद एक प्रतिनिधिमंडल कापरड़ा मामलतदार से मिलकर अबिलम्ब “पार तापी नर्मदा लींकिंग प्रोजेक्ट” पूर्णरूपेण रद्द करने की जोरदार मांग किया हैं।

प्रदर्शन में नेतृत्व कर रहे मुख्य नेताओं में आदिवासी मुक्ति मोर्चा के गुजरात के संयोजक कॉम.कमलेशभाई श्रवणभाई गुरव, वांसदा के कांग्रेस विधायक, जय आदिवासी महासंघ के नेता, उमरगाम तालुका के आदिवासी संघर्ष मोर्चा की नेता कॉम.हरेश भाई आदि प्रमुख हैं।

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