आज 06 मई 2022 को शहीद कॉमरेड दरशराम साहू के जीवन संघर्ष के संबंध में हम ‘पब्लिक फोरम‘ में चर्चा कर रहे हैं। आज ही के दिन 06 मई 2006 को भाकपा (माले) लिबरेशन की ओर से कॉमरेड बृजेंद्र तिवारी के द्वारा दरसराम साहू भवन, लाल खदान (महमंद) बिलासपुर (छ.ग.) पिन-495001; की ओर से उनके जीवन संघर्ष के संबंध में यह पुस्तिका पहली बार प्रकाशित एवं प्रसारित की गई थी।
जिसकी भूमिका में तत्कालीन केंद्रीय कमेटी सदस्य व छत्तीसगढ़ प्रभारी कॉमरेड राजाराम बताते हैं कि कामरेड दरस राम साहू को शहीद हुए 16 साल गुजर गए।(सन 2006 का समय के आधार पर) आज की स्थिति में उनके बारे में सोचता हूं तो उनके द्वारा मजदूरों व किसानों के छोटे से दायरे में किए गए कार्यों का काफी महत्व है। जब मैं उन्हें मजदूर नेता के रूप में देखता हूं। उनमें संगठन निर्माण और हर परिस्थिति में मजदूरों के पक्ष में साहस के साथ नेतृत्व करने की क्षमता थी जब मैं उनसे 1981 में लाल खदान के छोटे से घर में मिला उनकी लोकप्रियता की चर्चा हमारी पार्टी के अंदर थी और उन्हें राष्ट्रीय स्तर के मोर्चे में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
कॉमरेड दरस राम साहू लाल खदान की स्पिनिंग मिल के स्थापित मजदूर नेता थे। उन्होंने स्पिनिंग मिल के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को मजदूर आंदोलन के साथ सचेतन रूप से जोड़ा। उन्होंने 78 दिनों की लंबी हड़ताल के दौर में किसानों को उनके पक्ष में खड़ा ही नहीं किया बल्कि आंदोलन को टिकाए रखने के लिए किसानों से अन्य सहित आर्थिक सहयोग लिया और मजदूर आंदोलन को जीत की मंजिल तक पहुंचाया हुए किसान मजदूर की एकता के केंद्र के रूप में थे दो बार सरपंच के रूप में रहते हुए उन्होंने अन्य राज्यों से आए हुए मजदूरों को जमीन देकर बसाया और स्थानीय मजदूरों के साथ एकता व भाईचारा का निशान कायम किया।
मजदूरों व किसानों के बीच कार्य करने जनता से जुड़ने, सादा जीवन जीने, संघर्ष के हर मोड़ पर दृढ़ता से कायम रहने की दरस राम साहू ने अपनी पूरी क्षमता थी बिलासपुर जैसे पिछड़े क्षेत्र में भाकपा माले के कामकाज को आगे बढ़ाने में उनकी अहम भूमिका थी आज भी जब छत्तीसगढ़ के मजदूर आंदोलन के आदर्श के रूप में चर्चा होती है तो सही है शंकर गुहा नियोगी और शहीद दरस राम साहू का ही नाम लिया जाता है। दोनों की हत्या भाजपा के शासनकाल में हुई थी। दोनों के हत्यारों को न्यायालय से बरी कर दिया गया।फिर भी दरस राम साहू के प्रति इस क्षेत्र के किसान मजदूर तथा आम जनता का जो प्रेम व श्रद्धा है जिससे पार्टी के काम को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है। उनका सरल जीवन व कठिन कठोर संघर्ष तथा मजदूर किसान से एक रूप होने की अद्भुत क्षमता हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
कॉमरेड दरस राम साहू के जीवन संघर्ष पर या पुस्तिका प्रकाशित करने के मेरे सपनों को साकार करने में कामरेड जैनुल अबीदीन कॉमरेड नरोत्तम शर्मा, कामरेड बृजेंद्र तिवारी व अन्य साथियों की अहम भूमिका रही है इन के सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। मैं उम्मीद करता हूं कि यह पुस्तिका छत्तीसगढ़ खासकर बिलासपुर के वैसे साथियों को जो मजदूर किसान की एकता व संघर्ष के बल पर नया छत्तीसगढ़ बनाने के लिए संघर्षरत हैं, उन्हें प्रेरणा प्रदान करेगी।
06 मई 1990 की वह काली रात
6 मई सन 1990 की वह काली रात थी। तेज अंधड़ के बीच बरसात हो चुकी थी तेज आंधी ने भारी उपद्रव मचाई थी। बिजली के खंभे एवं तार की चुके थे घोर अंधकार काली स्याह रात इस पर मेंढक की टर्र-टों और झीगरों की आवाजें रात को और भयावह बना रही थी।
देर रात हमेशा की तरह कामरेड दरस राम साहू अपने मजदूर परिवार के बीमार साथी का हाल-चाल जानकर इलाज की व्यवस्था करके घर लौट रहे थे हत्यारे पूरी तैयारी में थे दरस राम साहू जैसे ही मुख्य मार्ग छोड़ कर अपने घर की ओर जाने वाले संकरे रास्ते पर मोड़ थे पहले से खड़ी ट्रक की ओर से हत्यारों ने हमला कर दिया। गोली चली पीठ पर लगी दौड़कर घर तक भागे परंतु मौत पीछे थी हत्यारों ने तलवार भाला आदि तेजधार हथियारों से उन पर वार कर दिया उन्होंने दरवाजा खटखटाया आवाज लगाई तब तक हत्यारे अपना काम तमाम कर चुके थे एवं भाग चुके थे शोषक वर्ग के खिलाफ खड़े जुझारू व्यक्ति की मौत हो चुकी थी।
उनकी हत्या और मौत की खबर रातों-रात पूरे लाल खदान और मोहम्मद तक तथा आसपास के गांव में फैल गई कल सुबह हजारों की संख्या में मजदूर किसान अपने प्रिय नेता की मौत के गम में नम आंखें तथा तनी हुई मुट्ठी के साथ इकट्ठा हो गए कामरेड दरस राम साहू श्रम कानूनों का उल्लंघन कर मजदूरों का शोषण करने वाले उद्योगपतियों की आंख की किरकिरी बने थे वही गांव में सामंती धाक जमाए रखने वाले गरीबों की सरकारी विकास योजनाओं की राशि हजम कर जाने वाले लंपट उनसे हला काम थे
यह मध्य प्रदेश में फासिस्ट भाजपाई सुंदरलाल पटवा का शासन काल था उस समय उद्योग पतियों को सामंती प्रवृत्ति के लंबर्टों को लूट की खुली छूट मिली थी शराब जंगल तथा भू माफिया गिरोहों के हौसले बुलंद थे इन्हीं के इशारों पर शासन चल रहा था कामरेड दरस राम साहू इन शासन व्यवस्था के विपरीत कानून का राज मजदूर किसानों का राज स्थापित करने की जिद पर अड़े थे स्पिनिंग मिल मजदूरों के आंदोलन से लेकर बिलासपुर डिविजन रेलवे मेंस यूनियन रायपुर भिलाई दुर्ग के औद्योगिक क्षेत्र के असंगठित मजदूरों के आंदोलनों के अलावा गांव के गरीब किसान खेत मजदूरों के आंदोलनों से एकाकार हो गए थे यह जन आंदोलन के आए हो गए थे भ्रष्ट माफिया शासन व्यवस्था के लिए मजबूत चुनौती बन गए थे हम कामरेड दरस राम साहू के अदम्य साहस और शोषण मुक्त समाज के निर्माण के महान लक्ष्य के लिए उनके संघर्ष को सलाम करते हैं।
कॉमरेड दरशराम साहू का संक्षिप्त जीवन परिचय
कामरेड दरशराम साहू का जन्म 16 जुलाई सन 1979 को बिलासपुर जिला के अंतर्गत मस्तूरी विकासखंड की महमंद ग्राम पंचायत के सहयोगी ग्राम लाल खदान में हुआ था। इनके पिता श्री नेतराम साहू और माता श्रीमती यशोदा साहू बहुत ही गरीब असंगठित मजदूर थे।इस दंपत्ति के एक पुत्री और तीन पुत्रों में दरस राम साहू दूसरी संतान थे इनकी प्राथमिक शिक्षा रेलवे स्कूल बिलासपुर तथा पूर्व माध्यमिक नॉर्मल स्कूल वर्तमान में हाईस्कूल तथा हायर सेकेंडरी शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर में हुई आर्थिक तंगी तथा विपरीत परिस्थिति के कारण आगे की पढ़ाई नहीं हो सकी जीविका चलाने लाल खदान स्थित स्पिनिंग मिल में प्रशिक्षु कर्मचारी के रूप में 3 माह काम करने के बाद 10 पद पर स्थाई रूप से नौकरी कर ली कामरेड दरस राम साहू मृदुभाषी मिलनसार और हसमुख मिजाज किए थे अतः मिल में काम करने वाले मजदूरों के बीच जल्द ही काफी लोकप्रिय हो गए 25 वर्ष की उम्र में सुशीला साहू से कामरेड दरस राम साहू का विवाह हुआ जिससे एक पुत्री और दो पुत्र सहित तीन संताने हुईं।
कॉमरेड दरशराम साहू और कम्युनिस्ट विचारधारा
कामरेड दरशराम साहू विद्यार्थी जीवन से ही अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे साथी ओमप्रकाश गंगोत्री जगदीश शर्मा आदि के साथ मिलकर स्पोर्ट्स क्लब बनाया गया था खेल मैदान के सामने पश्चिम बंगाल के ते भागा आंदोलन के नेता डॉ उत्पल एंड्रू घोष का दवाखाना था खेल के बाद दवाखाना में पानी पीकर कुछ देर बैठक और गुटबाजी होती इसी दौरान में डॉक्टर उत्पल इंदु घोष इन नवयुवकों के बीच कम्युनिस्ट पार्टी की चर्चा छेड़ देते नए विचार से युवा वर्ग प्रभावित हुए डॉक्टर घोष के पास अनेक कम्युनिस्ट साहित्य पढ़ने को मिला और फिर कामरेड जनक राम साहू कम्युनिस्ट हो गए कामरेड साहू को दफ्तर विशुन व कामरेड मुस्ताक अहमद सीबीआई के वरिष्ठ नेता तथा बिलासपुर रेलवे मेंस यूनियन के जनक का भी संसर्ग प्राप्त था उसका दवाखाना विचारधारा चमक बहस का केंद्र बन गया अब फुटबॉल खेल कम राजनीतिक चर्चा ज्यादा होने लगी वहां कम्युनिस्ट पार्टी के दो कार्य नैतिक लाइन पर बहुत तेज होने लगी।
इसी दौरान स्पिनिंग मिल में एक दुर्घटना में एक मजदूर के हाथ की उंगली कट गई मिल प्रबंधन ने कुछ दिन इलाज का खर्चा उठाया परंतु बाद में किसी भी तरह के सहयोग से हाथ खींच लिया यहीं से स्पिनिंग मिल लेबर यूनियन बनाने की प्रक्रिया आरंभ हुई घायल मजदूर की मुआवजा एवं नौकरी में बहाली करने की मांग मिल प्रबंधन से की गई कानूनी लड़ाई लड़ी गई और मजदूरों की संयोग से घायल मजदूर परिवार को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए गए इस कार्यशैली से कामरेड दरस राम साहू मजदूरों के बीच काफी विश्वसनीय हो गए।
कॉमरेड दरशराम साहू और मजदूर आंदोलन
स्पिनिंग मिल लेबर यूनियन पंजीयन के बाद यूनियन संचालन के लिए 110 की जरूरत को कामरेड दरस राम साहू ने गंभीरता से महसूस किया उन्होंने गांव में खाली पड़ी जगह पर यूनियन कार्यालय भवन का निर्माण मजदूरों के सहयोग से किया अब यूनियन कार्यालय में नियमित बैठक के होने लगे मिल में ठेका प्रथा के खिलाफ आंदोलन होने लगे महिलाओं को जच्चा अवकाश तथा गर्भावस्था में हल्के प्रकृति का काम लेने गेट पास एवं हाजिरी कार्ड देने की मांग की गई आंदोलन जोर पकड़ने लगा प्रबंधन व ठेकेदार आंदोलन तोड़ने की साजिश रचने लगे प्रलोभन धमकियों का कोई असर नहीं होता देख प्रबंधन ने घुटने टेक दिए ठेका प्रथा बंद हुई नियुक्ति पत्र मजदूरों को मिला।
अब मिल प्रबंधन ने शोषण का नया तरीका निकाला तीन श्रेणी के नियुक्ति पत्र दिए गए स्थाई और अस्थाई बिजली बंद होने मशीन खराब होने या अन्य कारणों से उत्पादन प्रभावित होने पर अस्थाई मजदूरों को वेतन ही नहीं दिया जाता था वही अस्थाई मजदूरों को आधा वेतन मिलता था इस शोषण के खिलाफ लड़ाई में तेज गति पकड़ी प्रबंधन ने मजदूर नेता दरस राम साहू पर अनेक झूठे केस लाद दिए और झूठे आरोप लगाकर काम से निकाल दिया तमाम हमलों के बाद भी लड़ाई जारी रही सभी मजदूरों को स्थाई नियुक्ति पत्र जारी किए गए अब अपने नेता को काम पर वापस लेने की मांग मजदूरों ने प्रबंधन से की प्रबंधन को झुकना पड़ा जनक राम साहू काम पर लौटे।
दरशराम साहू के नेतृत्व में खंडवा, नागौर आदमियों के मजदूरों के समान वेतन की मांग को लेकर इस चीनी मिल के तमाम 12100 मजदूरों ने आंदोलन शुरू किया जो कि 78 दिनों तक चला इस दौरान आसपास के गांव के किसानों से अन्य सहित आर्थिक सहयोग एकत्रित किया गया और मजदूर आंदोलन के समर्थन में उतारा गया तथा जीत की मंजिल तक पहुंचाया गया इस लंबे आंदोलन में एक भी मजदूर को मिल प्रबंधन प्रताड़ित नहीं कर सका इस मजदूर आंदोलन के सफल नेतृत्व का असर होने लगा और 10 राम साहू को रेलवे मेंस यूनियन भिलाई इस्पात संयंत्र तथा औद्योगिक क्षेत्र के असंगठित मजदूर आंदोलनों से बुलावा आने लगा। इन आंदोलनों का ही प्रभाव था कि 1982 में इंडियन पीपुल्स फ्रंट के स्थापना सम्मेलन में कामरेड दरस राम साहू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुने गए।
कॉमरेड दरशराम साहू और किसान आंदोलन
कामरेड दरशराम साहू मजदूर आंदोलन को किसान आंदोलन से जोड़कर मजबूत राजनीतिक शक्ति खड़ा करना चाहते थे उन्होंने गांव में सूदखोरी और पंचायती भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई उस समय सूदखोर ही पंचायती राज संस्थाओं में कब्जा जमाए थे पंचायती भ्रष्टाचार और सूदखोरी के खिलाफ निरंतर संघर्ष चलाने से उन सभी सामंती प्रवृत्ति के लोग दरस राम साहू से खासे नाराज थे जो सूदखोर थे और पंचायती विकास राशि हड़प रहे थे इतना ही नहीं ग्राम सभा बुलाकर गरीबों से मामूली तथा अनजाने में हुई गलतियों के लिए भारी आर्थिक दंड वसूलते थे
इससे गरीब किसान खेत मजदूर प्रभावित हुए वे सभी लोग किसान संगठन में सदस्यता लेकर संगठित होते गए मोहम्मद लाल खदान के किसान आंदोलन का प्रभाव कुर्मी लिमतरा दर्रीघाट आज गांव में भी किसान संगठन का भी विस्तार होने लगा कामरेड 10 राम साहू मजदूर एवं किसान आंदोलनों में पूरी तरह रच बस गए थे कई बार उन्हें मिल प्रबंधन तथा भ्रष्ट पंचायत पदाधिकारियों को पुलिस प्रशासन की सांठगांठ से जुड़े मामले में कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता था एक बार उन्हें जिला बदर किए जाने की कार्यवाही का भी सामना करना पड़ा।
कामरेड दरशराम साहू कभी निराश नहीं हुई नहीं कभी भावना में बहकर अराजक कार्यवाही ओं में हिस्सा लिया उन्होंने गरीब मजदूर किसानों ग्रामीण कारीगरों एवं शहरी गरीबों की दयनीय अवस्था के लिए अर्ध सामंती अर्ध औपनिवेशिक भारतीय शासन व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया और इससे मुक्ति के लिए मार्क्सवाद लेनिन वार्ड और माओ त्से तुंग विचारधारा को मजबूत हथियार के रूप में स्वीकार किया वह मजदूर किसानों के आर्थिक मांग को लेकर आंदोलन करके उनके बीच अंतर प्रक्रिया में जाते और तथ्यों के आधार पर सत्य की तलाश करते उन्होंने मजदूर किसानों के राजनीतिकरण पर काफी जोर दिया।
1975 में आपातकाल और कॉमरेड दरशराम साहू की जेल यात्रा
कामरेड दरस राम साहू से मिल प्रबंधन सूदखोर भ्रष्ट पंचायत पदाधिकारी और पुलिस तथा जिला प्रशासन उनकी आक्रामक नेतृत्व और राजनीतिक सूझबूझ से काफी उहापोह में रहते उन पर सैकड़ों झूठे प्रकरण लाभ देने के बाद भी मौके की तलाश इस जनविरोधी गठबंधन की थी कि कैसे उन्हें जेल में डाल दिया जाए यह सुनहरा मौका मिला जिला प्रशासन को इंदिरा गांधी के निरंकुश शासन काल में 26 जून 1975 को पूरे देश में आपातकाल ठोक दिया दया।
दरशराम साहू दिनांक 27 जून 1975 से फरवरी 1977 तक पूरे 18 माह जेल में रहे जेल के अव्यवस्था और सफाई के अभाव में साहू जी का स्वास्थ्य काफी खराब हो गया। हमेशा पेट दर्द से परेशान रहने लगे जेल यात्रा के दौर में अनेक राजनेताओं से संपर्क बड़ा और जेल में ही भाकपा माले नेता कामरेड दीपक बॉस से मुलाकात हुई राजनीतिक चर्चा में संशोधन वाद और अवसरवादी तथा संसदीय दूम छल्ला वाद के खिलाफ क्रांतिकारी सोच ने युवा मन को प्रभावित किया जेल से छूटने के बाद भाकपा माले से उनका संपर्क बढ़ता गया जीवन के अंत तक कामरेड 10 राम साहू भाकपा माले लिबरेशन के छत्तीसगढ़ आंचलिक समिति के सदस्य रहे।
कामरेड दरशराम साहू और पंचायती राज संस्थाएं
आपातकाल समाप्ति के बाद वर्ष 1978 में मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की घोषणा हुई स्पिनिंग मिल के मजदूर तथा ग्रामीणों के विशेष आग्रह पर कामरेड दरस राम साहू ने पंचायत चुनाव में भाग लेने का मन बनाया उन्होंने मोहम्मद पंचायत के हर वार्ड से अपना पंच पद का उम्मीदवार खड़ा किया इस मजदूर गरीब किसान चैनल के खिलाफ मिल प्रबंधन और सूदखोरों का पैनल चुनाव मैदान में था इस चुनाव में धनबल और असामाजिक तत्व बड़ी चुनौती थी और सूझबूझ से मजदूर गरीब किसान चैनल के सभी पंच अच्छे मतों से विजई हुए और कामरेड दरस राम साहू सर्वसम्मति से सरपंच चुने गए।
कामरेड दरशराम साहू ने पंचायती भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की उस समय पंचायत के माध्यम से गांव को विकास के लिए आने वाली राशि का बड़ा हिस्सा विकास खंड अधिकारी रख लेता और स्वीकृत राशि के पावती पर सरपंच के हस्ताक्षर लेता था इसका विरोध करने पर राष्ट्रीय रोक दी जाती थी गांव में दलाल लोग प्रचार करते कि सरपंच गांव विकास के लिए स्वीकृत राशि लाकर गांव में काम कर आना ही नहीं चाहता दरस राम साहू इसके खिलाफ जन आंदोलन संगठित करते और बिना कमीशन दिए पूरी स्वीकृत राशि लेकर गांव के विकास में चार चांद लगाते।
कामरेड दरशराम साहू ने सरपंच बनते ही दो काम प्राथमिकता के आधार पर किया। पहला शुद्ध पेयजल की व्यवस्था गांव के लोग तालाब का पानी पीते थे उन्होंने बृहत नल जल योजना का प्रस्ताव बनाया दूसरा पंचायत कार्यालय मोहम्मद विशेष सहयोगी ग्राम लाल खदान तक 1 किलोमीटर पक्का सड़क का निर्माण इस तरह विकास के नाम पर लूट के खिलाफ विकास को सही पटरी पर लाना दरस राम साहू का लक्ष्य बन गया उन्होंने जन गोलबंदी के माध्यम से जन आंदोलन और इसके द्वारा जन विकास का नारा दिया।
उन्होंने बिलासपुर शहर से बहकर आने वाले गंदा पानी (जो नदी नालों में मिलकर साफ पानी को गंदा करता था) के संरक्षण व शुद्धिकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा। गंदे पानी को साफ कर सिंचाई योग्य पानी बनाना कूड़ा-करकट को जैविक खाद निर्माण करना या काफी बड़ा बजट का काम था उन्होंने पंचायत से खाली पड़ी जमीन को इस काम के लिए उपलब्ध कराने का प्रस्ताव शासन को देखकर लागत राशि की मांग सरकार से की राशि स्वीकृत हुई योजना साकार हुआ शासन-प्रशासन में तथा लोगों के बीच दरस राम साहू काफी सम्मान पाते थे उनकी कार्यशैली काफी सराही गई यही वजह था कि वे 1984 के पंचायत चुनाव में सरपंच पद के लिए ग्रामीणों द्वारा पुनः चुने गए।
ग्राम पंचायत के समानांतर पंचायत गांव में चलता था जिस पर गांव के दबंग सामंती प्रवृत्ति के लोगों का कब्जा रहता था इसके को सुपर दबंग लोग मौज मस्ती करते थे और लोगों को कोर्ट कचहरी या अन्य तरह से परेशान करने में उपयोग करते थे सूदखोरी में भी इस राशि का उपयोग होता था कामरेड 10 राम साहू ने इस समानांतर पंचायत को महामद पंचायत में खत्म कर दिया इससे सूदखोर काफी नाराज हुए।
मिल प्रबंधन और सूदखोर कामरेड दरशराम साहू के खिलाफ एकजुट हो गए मजदूर किसानों के बीच दरस राम साहू जी का नेतृत्व मजबूत होता गया उद्योगपति सामंत गठबंधन के लिए दरस राम साहू चुनौती बन गए 1984 में एक साजिश रचकर उन पर इस गठबंधन द्वारा प्राणघातक हमला भी किया गया दरस राम साहू बड़े संघर्ष करके बच पाए इस संघर्ष में उन्हें महिलाओं ने बहुत साथ दिया इस हमले के खिलाफ बड़ी संख्या में लोग प्रतिवाद पर उतरे क्रोधित परंतु संयमित थे यह साहू जी के शिक्षा का प्रभाव था।
दरशराम साहू ने महमद पंचायत के सरपंच रहते हुए 06 एकड़ जमीन को आबादी घोषित करवा कर के अन्य राज्यों में से स्पिनिंग मिल में काम करने आए मजदूरों को घर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध करवाई तथा मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए भी 02 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई। 1988 तक मोहम्मद पंचायत एक विकसित पंचायत था हाई स्कूल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शुद्ध पेयजल सिंचाई व जैविक खाद बनाने का संयंत्र लाल खदान तक पक्की सड़क सब कुछ मिल गया था 1988 में पंचायत भंग कर दी गई एक समिति बनाकर पंचायत का काम चल रहा था समिति के अध्यक्ष कामरेड दरस राम साहू ही थे। सन 1989-90 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भिलाई विधान सभा से इंडियन पीपुल्स फ्रंट के वे उम्मीदवार थे।
कॉमरेड दरशराम साहू और संस्कृति
कामरेड दरशराम साहू हारमोनियम बहुत अच्छा बजाते थे उनकी एक सांस्कृतिक 3 थी इस टीम के माध्यम से लोगों में नए विचारों को पहुंचाने का काम होता था कामरेड दरस राम साहू संस्कृति कर्मी मजदूर किसान नेता एक अच्छे संगठक एवं मार्क्सवादी शिक्षक के सारे रूप में वेएक सच्ची कम्युनिस्ट थे।
श्रीमती सुशीला साहू के संस्मरण
1974 में उनसे मेरा विवाह हुआ तब मैं 17 या 18 साल की रहूंगी। शुरू शुरू में उनके राजनीतिक काम से परेशानी महसूस करती थी तब मैं देश दुनिया से अनजान घर गृहस्ती ठीक करने के बारे में सोचा करती थी आज मुझे गौरव होता है कि उन्होंने मुझे अपने शोषण मुक्त समाज निर्माण के संघर्ष में अपनी सौभाग्य नी बनाया वह कितने अच्छे शिक्षक थे तभी तो मुझ जैसी कम पढ़ी-लिखी को समाज और देश की शोषणकारी शक्तियों को पहचानने लायक बनाया उनसे लड़ने की शक्ति दी मेरी नादानी और नासमझ बातों से कभी खींचते नहीं थे बल्कि बड़े धैर्य से समझाते थे इतने कठिन कठोर मेहनत के बाद भी हम लोग क्यों इतने तंग हाल जीवन जी रहे हैं उनकी यही समझ तो आज ही कठिन पर विपरीत परिस्थिति में मुझे जीने की प्रेरणा देता है।
विवाह के दो ढाई साल
विवाह के दो ढाई साल बाद ही वे गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए। मैं उनका अपराध नहीं समझ पाती थी। आज की तरह समझ तब होती तो मैं भी उनके साथ गिरफ्तारी देकर जेल चली जाती। मुझे एक घटना याद है दूसरी संतान (पुत्र राकेश) के जन्म के छठे के दिन घर में छठी मनाया जा रहा था और यह सुबह से यूनियन की बैठक में चले गए और देर रात लौटे परिवार के लोग नाराज हो रहे थे उन्होंने सभी की खरी-खोटी चुपचाप सुन फिर धीरे से बोले मैं इस बालक के भविष्य निर्माण करने ही तो गया था व्यवस्था बेहतर होगी तो लोगों का जीवन भी बेहतर होगा मैं तो आवाज रह गई थी। कोई भी बात जो क्यों न उनके विपरीत जाती हो उन्हें तरस नहीं आता था उनका बड़े प्रेम से लोगों को समझाना मुझे बड़ा भाता था वृहद की छिटपुट नोकझोंक को मैं तकरार नहीं कह सकती। (श्रीमती सुशीला साहू से बातचीत के आधार पर)
वरिष्ठ कम्युनिस्ट कॉमरेड जैनुल अबेदीन के संस्मरण
लगभग सन 1971 में बिलासपुर रेलवे डिविजन के हिल स्टेशन में गैंगमैन अपने महाप्रबंधक को एक ज्ञापन सौंपना चाह रहे थे घेराव के दौरान लाठीचार्ज व गोली चल गई 02 गैंगमैन मारे गए।
इस घटना के खिलाफ रेलवे मेंस यूनियन द्वारा बिलासपुर रेलवे स्टेशन में एक सभा का आयोजन किया गया मैं जब सभा में पहुंचा एक दुबला पतला ठीक ने कद का नौजवान सभा को संबोधित कर रहा था उसकी आवाज में एक पूछी थी बातों को रखने का ढंग अलग था सबसे बढ़कर वह नौजवान रेलवे मजदूरों को अपने विभाग बाद से ऊपर उठकर जिनेवा देश में चल रहे अन्य मजदूर किसानों के आंदोलन के साथ एकजुट होने की अपील कर रहा था यह विचार बिल्कुल नया था मैं बहुत प्रभावित हुआ।
इधर उधर के लोगों से पूछने पर पता चला यह नवोदय नौजवान लाल खदान स्पिनिंग मिल के मजदूर यूनियन का अध्यक्ष दरस राम साहू है।क्योंकि मैं रेलवे में नौकरी के पूर्व स्पिनिंग मिल में काम करता था मैंने दरस राम साहू से संपर्क किया मैंने महसूस किया कि यह नौजवान एक अच्छा संगठन और मार्क्सवाद लेने वादी विचारधारा से ओतप्रोत एक अच्छा कम्युनिस्ट कार्य करता है मैंने तब से नियमित संपर्क बनाए रखा द राम साहू को कभी ग्रामीणों की बातों से उठते नहीं देखा सबकी बातें ध्यान से सुनते और उनकी समस्याओं के हल के लिए संगठन बनाने पर जोर देते हुए अपनी बातों को बड़े कन्विंसिंग ढंग से रखते कभी अपने विचारों को प्रस्ताव को किसी पर थोपे नहीं थे।
उनके स्वभाव मृदुभाषी और हसमुख मिजाज से बड़ा प्रभावित था। कभी चेहरे पर उदासी नहीं देखी अपने पारिवारिक समस्याओं के लिए वे किसी के सामने नहीं गिरिराज मैं उनके शोषण मुक्त समाज निर्माण के सपनों को पूरा करने के संघर्ष में उनकी स्मृतियों में उन्हीं से प्रेरणा ग्रहण करता हूं। मैं उस्मान मजदूर किसान नेता को लाल सलाम करता हूं। मैं आज के कैरियर निर्माण तथा भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे भागने वाले नौजवानों के लिए उन्हें त्याग और प्रेरणा स्त्रोत के रूप में देखता हूं। -team public forum
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