(व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा )
मोदी जी के विरोधी बिल्कुल ही पगला गए हैं क्या? बताइए, अब कह रहे हैं कि मोदी जी मन की बात में तेल, रसोई गैस वगैरह के दाम की बात क्यों नहीं करते? पैट्रोल-डीजल के दाम छ: दिन में पांच-पांच बार बढ़े हैं, मोदी जी को वह क्यों नहीं दिखाई दिया। कम से कम रसोई गैस सिलेंडर के दाम की तो सुध लेते, जो हजार का आंकड़ा पार करने के लिए कसमसा रहा है? वह भी नहीं तो कम से कम 800 जरूरी दवाओं की कीमतों का ही जिक्र कर देते, वगैरह, वगैरह।
अब इन्हें कोई क्या समझाए कि इतनी बेतुकी बातें कर के तो ये अपना ही मजाक उड़वा रहे हैं। वर्ना मोदीजी ने तो ठोक-ठोक के बताया है और करीब आठ साल में हर महीने बताया है कि इसकी न उसकी, ये उनके मन की बात है! बेशक, मोदीजी पब्लिक से सुझाव भी मांगते हैं और उम्मीद है कि मांगते हैं, तो सुझाव लेते भी होंगे। लेकिन, सुझाव पब्लिक के हो सकते हैं, पर बात मोदीजी अपने मन की ही करते हैं। और ठस्से से करते हैं। किसी का डर है क्या? अव्वल तो छाती ही छप्पन इंच की और उस पर चुनाव में जोरदार जीत! मोदी जी किसी कल्लू्, किसी रामू, किसी रग्घू के मन की बात करेंगे क्या?
नहीं, हम यह नहीं कह रहे हैं कि बात चूंकि मोदी जी के मन की है, इसलिए उसमें तेल का जिक्र समा ही नहीं सकता है। मोदी जी का मन बहुत बड़ा है। उसका विस्तार अपार है। उसमें पूरा ब्रह्मांड समा सकता है। बस बात मोदी जी के मन की होनी चाहिए। कोई गलत न समझे। पांच में से चार राज्यों में दोबारा भगवा सरकार बन गयी, यह मोदी जी के मन की बात है जरूर, लेकिन यही मोदी जी के मन की बात नहीं है। विदेश व्यापार का आंकड़ा 400 अरब डालर पार कर गया, यह भी मोदी जी के मन की बात है। योगा भी मोदी जी के मन की बात है और आयुष सैक्टर भी। और गुजरात का मेला भी, तो अंबेडकर से जुड़े पंच तीर्थ भी। और तो और लड़कियों की शिक्षा भी, बस हिजाब पहनने वाली लड़कियों को छोडक़र।
यानी मोदीजी के मन की बात में सब समा सकता है,करीब-करीब सब कुछ। फिर मोदीजी की मन की बात में तेल का दाम क्यों नहीं? सिंपल है–तेल का दाम बढ़े, यह तो मोदीजी के मन की बात है ही नहीं। यह तो तेल कंपनियों के मन की बात है। और सच पूछिए तो तेल कंपनियों के भी मन की बात कहां, उनकी भी मजबूरी है। सात-समंदर पार यूक्रेन और रूस लड़ रहे हैं। मजबूरी में सही, दाम तेल कंपनियां बढ़ा रही हैं और उलाहना मोदी जी को दिया जा रहा है कि उनकी मन की बात में तेल का दाम क्यों नहीं है? वैसे है मन की बात में तेल का दाम भी, तभी तो चार दिन अस्सी-अस्सी पैसे बढऩे के बाद, इतवार को तेल के दाम सिर्फ पचपन पैसे बढ़े हैं।
यानी हर लीटर तेल पर पब्लिक की चवन्नी की शुद्घ बचत — यह है मोदी जी के मन की बात! मोदी जी इसके बाद भी अपनी मन की बात में तेल की कीमतों का जिक्र कर के पब्लिक पर चवन्नी का एहसान नहीं लादना चाहते हैं, तो इस पर मोदी-मोदी की जगह, हाय-हाय क्यों? वैसे भी सब का साथ और तेल की कीमत समेत सब का विकास भी तो मोदी जी के मन की बात है।
(राजेन्द्र शर्मा वरिष्ठ पत्रकार और ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)
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