छत्तीसगढ़//पब्लिक फोरम// छत्तीसगढ़ के तीनों वामपंथी पार्टियों के राज्य सचिव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से संजय पराते, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से आरडीसीपी राव और भाकपा (मा-ले) लिबरेशन से बृजेंद्र तिवारी ने संयुक्त रूप से पत्र के माध्यम से मुख्य मंत्री का ध्यान निम्न तथ्यों की ओर आकर्षित कराया है।
- वामपंथी नेताओं ने कहा है कि हमारा ध्यान आम जनता के विभिन्न तबकों द्वारा आपकी सरकार की ओर से 10 जुलाई, 2021 को दैनिक भास्कर सहित विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन की ओर दिलाया गया है, जिसमें आपकी सरकार ने कहा है कि अगले दो सालों में “वामपंथ प्रभावित क्षेत्र में 1637 करोड़ रुपयों से सड़क संपर्क” बनाया जाएगा। विज्ञापन संलग्न है।
- निश्चित ही यहां आपकी सरकार का इशारा “माओवाद-प्रभावित या नक्सल प्रभावित वामपंथी-उग्रवाद” से है। लेकिन विज्ञापन में उपयोग में लाया गया शब्द “वामपंथ प्रभावित” भ्रम पैदा करता है। “वामपंथ प्रभावित” और “वामपंथ-उग्रवाद प्रभावित” शब्द समानार्थी नहीं है और उनके राजनीतिक निहितार्थ भिन्न-भिन्न होते हैं।
- आप जानते हैं कि वामपंथी ताकतों की देश की संसदीय राजनीति को रूपाकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका है और वह देश की संवैधानिक-लोकतांत्रिक-राजनैतिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक से अधिक राज्यों में वह सत्ता में है/ रही है या प्रमुख विपक्षी पार्टी है/ रही है। वर्ष 2005 में वामपंथ के बाहरी और सक्रिय समर्थन से ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का केंद्र की सत्ता में आना सुनिश्चित हो सका था। आज भी आम जनता के हितों से जुड़े कई साझा मुद्दों पर कांग्रेस के साथ वामपंथी ताकतों के सहयोग व समर्थन से संघर्ष विकसित हो रहा है।
- इस देश की मुख्यधारा की वामपंथी पार्टियों को “वामपंथी उग्रवाद” के समकक्ष रखकर उसे बदनाम करने की कोशिश भाजपा करती रही है, जबकि उनका वामपंथी-उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं रहा है। भाजपा की इसी समझदारी को इस विज्ञापन के जरिये आगे बढ़ाया गया है, जो खेदजनक है। एक बार फिर यह विज्ञापन आदिवासी क्षेत्रों के पिछड़ेपन के लिए “वामपंथी” ताकतों को जिम्मेदार ठहरता प्रतीत होता है।
- हम तीनों वामपंथी पार्टियों का आग्रह है कि इस विज्ञापन की दक्षिणपंथी भाषागत गलती को सुधारा जाए और भविष्य में इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग न करने का निर्देश सक्षम अधिकारियों को जारी किया जाए।
- उम्मीद है आप की ओर से सकारात्मक पहल की जाएगी।
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