रायपुर/ पब्लिक फोरम/ अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की छत्तीसगढ़ ईकाई के द्वारा 27 अगस्त को वाय.एम. सी.ए. प्रोग्राम सेंटर,रायपुर में “कोविड के परिप्रेक्ष्य मे, भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं के समक्ष चुनौतियां और भूमिका” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
संगोष्ठी की शुरुआत मोदी सरकार की नाकामियों से कोविड के दौरान लाखों की तादाद में मारे गए लोगों तथा पिछले 9 महीने से दिल्ली व देश भर में चल रहे किसान आंदोलन मे 600 से अधिक शहीद किसानों और भाकपा (माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य बृज बिहारी पांडेय को एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धाजंलि से हुई.
संगोष्ठी में कहा गया कि कोविड मे मोदी सरकार के कुप्रबंधन व लापरवाही के कारण आम जनता खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य व रोजगार पर गंभीर असर पड़ा है. जानलेवा मंहगाई ने जीवन को दूभर बना दिया है. आपदा को अवसर मे बदलने के नाम पर लोकतंत्र को सिलसिलेवार ढंग से खत्म किया जा रहा है. देश भर में धर्म व जाति के नाम पर नफरत को फैलाया जा रहा है तथा अल्पसंख्यकों पर संगठित हमले किए जा रहे हैं. देश की संपत्ति को बेचा जा रहा है. मजदूरों किसानों के अधिकारों को कंपनियों के हित में बदल कर गुलाम बनाने की कोशिश की जा रही है. ऐसी स्थिति में मोदी सरकार के खिलाफ तमाम लोगों को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा.
संगोष्ठी में किसान आंदोलन के साथ एकजुटता जाहिर की गई और मोदी सरकार से तीनों कृषि कानूनों व चार श्रम कोडों को रद्द करने तथा सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के गांरटी की मांग की गई.
महिलाओं के साथ विभिन्न रूपों में की जा रही हिंसा पर रोष प्रकट किया गया.
गोष्ठी को डॉ. लक्ष्मी कृष्णन, अजुल्का,वंदना बैरागी, सावित्री महिलांग, सपना खुटे, नीरा डहारिया, मीना कोसरे, अंजनी कुर्रे, अर्चना एडगर आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया.
संगोष्ठी में बृजेन्द्र तिवारी, अशोक मिरी, नरोत्तम शर्मा, अखिलेश एडगर, मोहित जायसवाल ने भी अपनी बातों का रखा.
संगोष्ठी में धर्म निरपेक्षता तथा लोकतंत्र को मजबूत करने का संकल्प लिया गया.
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