गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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कृषि ऋण का लाभ ले रहे कॉरपोरेट घराने

सूचना का अधिकार के तहत रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने एक जानकारी देते हुये कहा हैं कि वर्ष 2016 में देश के 615 बैंक खातों में 58,561 करोड़ रूपये कृषि ॠण दिया गया हैं। औसत प्रति खाता में 95 करोड़ रूपयो का किसान ऋण दिया गया हैं। इसी तरह 2015 में बैंकों ने 604 बैंक खातों में 53,143 करोड़ रूपये ऋण प्रदान किया था।

इन सभी बैंक खातायें किसानों के बदले उन कार्पोरेट घरानों का है जिन्होने कृषि उत्पादों का व्यापार करते हैं।रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार बैंको को सस्ते दरों पर सीमांत व लघु किसानों को ऋण देने का प्रावधान हैं। लेकिन बैंक प्रबंधन लघु व सीमांत किसानों को यह कर्ज देने के बदले कृषि उत्पादों पर व्यापार करने वाले, गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करने वाले बड़े-बड़े व्यापारियों को यह कर्ज देकर उन्हे उपकृत कर रही हैं।स्वाभाविक रूप से ही कोई सीमांत व लघु किसान एक वर्ष में 95 करोड़ रूपये का कर्ज नही ले सकते हैं।

कृषि ऋण पर ब्याज का दर 04 प्रतिशत है। इसका पूरा लाभ उन कार्पोरेट घरानों को मिल रहा है जो कृषि उत्पादों को भंडारण, व्यापार करते हैं। रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार बैंकों को कुल कर्ज के 18 प्रतिशत ॠण प्राथमिकता के क्षेत्रों को आबंटित किया जाना हैं। कृषि इस प्राथमिकता के क्षेत्र में आता है।

रिजर्व बैंक की ही जानकारी के मुताबिक मुम्बई के सबसे धनी रिहायशी इलाकों के स्टेट बैंक आफ इंडिया के मुम्बई सिटी ब्रांच से 03 बैंक खातों को 10 करोड़ रूपये कर 30 करोड़ रूपये कृषि ऋण दिया गया है । उसी शाखा से अन्य तीन खाता धारकों को 27 करोड़ रूपये कृषि ऋण मिला है।अंदाजा लगाया ही जा सकता हैं मुम्बई के इस बैंक ने किसी सीमांत या लघु किसान को यह कर्ज नहीं दिया होगा।

कृषि ऋण के नाम पर यह धोखाधड़ी लंबे समय से ही चले आ रहे हैं। कृषि ऋण का लाभ रिलायंस फ्रेस जैसे कंपनी उठा रहा हैं। वास्तव मे गांवों में रहने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा हैं। सरकार की नीतियों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की कमी के कारण किसानों को महाजनी ऋण के जाल में फंसने के विवश होना पड़ता है।इस कर्ज से किसान आत्महत्यायें करने को मजबूर होते हैं। -सुखरंजन नंदी

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