इस देश में आजादी के बाद आदिवासियों से जो कुछ भी छीना है अगर उसका 1% भी वापस लौटा देते याने की जो मुनाफा उनकी जमीन से उनकी जंगलों को खत्म कर दिया उनकी जमीन की नीचे खनन करके उनकी जमीन पर उद्योगों को बैठा कर यह सारी चीजें इस देश में जितनी बड़ी तादाद में की गई अगर उसका एक हिस्सा भी आदिवासियों को वापस लौटा देते तो कम से कम आदिवासी इस देश की मुख्यधारा में आर्थिक तौर पर शामिल हो गए होते याने की प्रति व्यक्ति कि आए इस देश की जितनी है उतनी ही आदिवासियों की विधि हो जाती।
इस देश में जितनी गरीबी रेखा से नीचे हैं उतनी ही गरीबी की रेखा से नीचे आदिवासी भी होते लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।और आजादी के बाद नहीं मौजूदा 10 बरस के भीतर में इस देश के भीतर सबसे ज्यादा जमीने आदिवासियों से छीनी गई बीते 10 वर्षों में सबसे ज्यादा जंगल आदिवासियों जिसमें उनकी रिहाई सी थी उसे जमीनों को खत्म किए गए इस दौर में खनन उतनी ही तेजी से हुआ इस दौर में जिस तरीके से बेरोजगारी मुफलिसी और आर्थिक परिस्थितियों की 2 जून की रोटी के लिए भी विवश स्थिति में आदिवासी आकर खड़े हो गए। शायद शायद हमें लगता है कि आपको यह सब जरूर जाना चाहिए जान ना इसलिए नहीं चाहिए कि आज 15 नवंबर है इसलिए भी नहीं कि आज 15 नवंबर के दिन बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जाती है जानू ना इसलिए चाहिए इस दिन को सत्ता ने अपने तौर पर यह ऐलान किया कि यह जनजाति गौरव दिवस है।
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