बिलासपुर (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष संत कुमार नेताम ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में राजस्थान की सरकारी कंपनी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को आबंटित कोल ब्लॉक के कारण सरगुजा क्षेत्र के आदिवासियों को भूविस्थापन,वायु और जल प्रदूषण भारी वाहनों के चलने के कारण कई दुर्घटनाएं और उत्खनन के कारण खलल से हाथियों की उग्र हो जाने का दुष्परिणाम पूरा क्षेत्र भुगत रहा है।
वर्तमान में सरगुजा क्षेत्र में परसा ईस्ट केते बासन, केते एक्सटेंशन और परसा, तीन कोल ब्लॉक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित किया गया है पूरा क्षेत्र घना जंगल होने के कारण इन ब्लॉक में वन अनुमति की लागत बहुत ज्यादा है वहीं ये ब्लॉक मध्य प्रदेश के सोहागपुर की तुलना में लगभग 200 किलोमीटर अधिक दूरी पर है जिसके कारण कोयले का परिवहन लागत 400 रूपये प्रति टन अधिक आ रहा है।
सुहागपुर गोल्ड फील्ड में जंगल की मात्रा बहुत कम है तथा पर्याप्त मात्रा में कोयला का भंडार मौजूद है इन तथ्यों के बावजूद राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने कभी अपने विद्युत संयंत्रों की सबसे नजदीक स्थित भंडारों की आवंटन की मांग केंद्र से नहीं की है। उपरोक्त स्थिति का कारण विद्युत उत्पादन निगम का अडानी कंपनी से किया गया वह अनुबंध है जो वर्तमान में नए कानून और सुप्रीम कोर्ट के मद्देनजर अवैध हो गया है। इस अनुबंध के कारण वर्तमान में चालू खदान परसा ईस्ट केते बासन से राजस्थान अपना स्वयं का कोयला अडानी कंपनी से महंगी में खरीदने को मजबूर है और वहीं 20 प्रतिशत उत्पादन अदानी कंपनी मुफ्त में अपने उपयोग के लिए रख ले रही है।
परसा कोल ब्लॉक की भूमि अधिग्रहण के दौरान सरगुजा जैसे पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभाओं की फर्जी दस्तावेज बनाए गए। वहीं दबाव पूर्वक भूमि अधिग्रहण का प्रयास किया जा रहा है नए भूमि अधिग्रहण कानून की पश्चात कॉल बेयरिंग एक्ट से भूमि अधिग्रहण किया जाना आपत्तिजनक है साथ ही इस क्षेत्र में उत्खनन बढ़ने से मानव हाथी संघर्ष में भारी वृद्धि की चेतावनी वाइल्ड लाइन इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने दी है।
उक्त संपूर्ण विवरण को देखते हुए यह आवश्यक है कि राजस्थान की उपभोक्ताओं और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार को यह निर्देश देवें कि वह राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम का अडानी कंपनी से किया हुआ अनुबंध रद्द करावे। साथ ही चालू खनन परसा ईस्ट केते बासन को छोड़कर अन्य दो कोल ब्लॉक परसा और केते एक्सटेंशन के बदले में मध्यप्रदेश के सोहागपुर गोल्ड फील्ड में वैकल्पिक कोल ब्लॉक का आवंटन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के लिए केंद्र सरकार से कराएं।
कोल इंडिया की कंपनी एसईसीएल वर्तमान में पर्याप्त उत्पादन कर रही है और निकट भविष्य में इसका उत्पादन और बढ़ने की संभावना है यह देखते हुए स्वयं की खदान का कोयला और एसईसीएल का कोयला लगभग बराबर रेट पर पावर प्लांट पहुंच रहा है। अतः अपने ही ब्लॉक से अडानी के द्वारा उत्खनन करवाकर कोयला प्राप्त करने की जिद का कोई आधार नहीं है। उत्खनन का पूरा पूरा लाभ अदानी को प्राप्त हो रहा है और राजस्थान के उपभोक्ताओं को बिजली महंगे दाम पर मिल रही है ऐसी स्थिति में राजस्थान के नागरिकों के हित में इसे तुरंत बदले जाने की आवश्यकता है।
Recent Comments