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रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा ने किया परिचर्चा का आयोजन

भिलाई (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) भिलाई द्वारा 8 मार्च को भैरव बस्ती, कैम्प 2, भिलाई मे अतंर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

परिचर्चा मे कहा गया कि 8 मार्च हमें अपने नागरिक अधिकारों को हासिल करने की क्रांतिकारी विरासत की याद दिलाता है और अपनी जिन्दगी के सवालों के बुनियादी कारणों की पड़ताल की ताकत और हौसला देता है। यह दिन महिलाओं के आर्थिक अधिकार, सामाजिक गरिमा व राजनीतिक न्याय हासिल करने के संघर्ष का प्रतीक है. श्रमिक महिलाओं की लड़ाई से उर्जा लेकर इस दिन महिलाओं ने दुनिया भर में साम्राज्यवाद और युद्धों के खिलाफ शांति, खुशहाली और रोटी के लिए बड़े-बड़े आंदोलन किए हैं और कई जीतें हासिल की हैं।

लेकिन, आज के महिला-विरोधी लूटतंत्र में, संघर्ष से हासिल हमारे ये अधिकार खतरे में हैं और पूरी दुनिया में महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रही हैं. पूंजी, धर्म, सत्ता, सामंत का गठजोड़ अपनी पूरी ताकत से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की मूल भावना व चेतना को ओझल करने की कवायद में लगा हुआ है। अपने देश की बात करें तो मजदूर महिलाएं सरकार द्वारा पारित श्रम कानूनों के खिलाफ लड़ रही हैं. आंगनवाड़ी- स्कीम वर्कर्स लड़ रही हैं कि उन्हें कर्मचारी की मान्यता और न्यूनतम वेतन मिले. स्वयं सहायता समूहों व माइक्रो फायनांस संस्थाओं से छोटे कर्ज लेने वाली महिलाएं कर्ज माफी, ब्याज दरों को कम करने, अपने रोजगार के लिए ट्रेनिंग, बाजार और अन्य राहतों की मांग कर रही हैं।

लेकिन आज जब देश की महिलाएं रोजगार या अपने अन्य अधिकार मांगती हैं, अपनी इच्छा और अपने तरीके से जीवन जीना चाहती हैं तब कट्टरपंथी सत्ता मातृशक्ति की पूजा करने का ढकोसला कर महिलाओं पर होनेवाले हर किस्म के जातीय दमन, हिंसा व उत्पीड़न को संस्कृति के नाम पर जायज ठहराती है। स्कूल-कालेजों, कार्यालयों,फैक्ट्रियों या कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ भेदभाव, यौन उत्पीड़न व सांस्थानिक हत्या का विरोध करने पर महिलाओं की आवाज को दबाने के लिए तरह-तरह के कुतर्क व हथकंडे अपनाये जाते हैं। आज उत्पीड़कों व अपराधियों को मिल रहा संरक्षण साफ दिखाता है कि महिलाओं में बढ़ रही संघर्ष की चेतना को हर तरह से रोक देने की कोशिशें हो रही हैं।

आज किसान-मजदूर महिलाएं हों या गृहणियां, सभी महंगाई से परेशान हैं। गैस सिलेंडर महंगा होता जा रहा है। बेरोजगारी चरम पर है। हर जगह अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। आम जनता परेशान है और सरकार को यह डर है कि लोग सरकार से सवाल न पूछने लगें इसलिए उन्हें मुस्लिमों के खिलाफ खड़ा करने की लगातार कोशिश हो रही है। आम लोगों की बदहाली की कीमत पर मोदी सरकार खुलकर अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों और सुविधा प्राप्त मुठ्ठी भर लोगों की सेवा में लगी हुई है। यही इनकी हिंदुत्व की राजनीति है।

इसलिए, आइये, नफरत, हिंसा और उन्माद के खिलाफ तथा प्रेम, बहनापा और आज़ादी के लिए सक्रिय हस्तक्षेप कर तानाशाही सरकार की अलगाववादी व विभाजनकारी राजनीति को शिकस्त दें।

इस समय रूस ने युक्रेन पर हमला कर वहां की जनता को युद्द में धकेल दिया है। आइये, हम रूस से युक्रेन पर हमला बंद कर तत्काल युद्द को रोकने की मांग करें, हम अमेरिका और नाटो से भी मांग करें कि वह पर्दे के पीछे से अपनी विस्तारवादी साजिश बंद करे क्योंकि युद्ध से आम लोगों को तबाही और बर्बादी के सिवाय और कुछ हासिल नहीं होता।

भारत सरकार ने युक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को समय रहते स्वदेश लाने में आपराधिक लापरवाही बरती है जिसका नतीजा है कि रूसी हमले में एक भारतीय छात्र मारा गया है और कई छात्र लापता बताए जा रहे हैं. हम मांग करते हैं कि सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने का इंतजाम करे।

परिचर्चा मे किर्ती देशलहरा, राधिका बघेल, ईश्वरी बघेल, नीरा डहारिया पुन्नी बाई, हेमकुमारी बघेल, प्रतिभा खोब्रागड़े, सीमा मानेकर, सावित्री महिलांग, रजनी घृतलहरे, गिरजा बंजारे, जुगरी बाई, मीना कोशले, बॉबी देवी, रमला जोशी, माया देवी, मीना, भाकपा (माले) से बृजेन्द्र तिवारी, आइसा से दीक्षित भीमगड़े, ऐक्टू से अशोक मिरी आदि ने हिस्सा लिया.

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