बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एमजीएम विद्यालय में एक रंगारंग और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस समारोह में केजी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसने न केवल उनकी प्रतिभा को उजागर किया बल्कि आदिवासी संस्कृति के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।
कार्यक्रम में विविध गतिविधियां शामिल थीं, जिनमें चित्रकला, भाषण प्रतियोगिता और नृत्य प्रदर्शन प्रमुख थे। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने भारत के आदिवासी समुदायों की समृद्ध संस्कृति, विविध भाषाओं और परंपरागत वेशभूषा के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की और साझा की।
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य, फादर जोसेफ सन्नी जॉन ने कहा, “यह दिवस हमें याद दिलाता है कि आदिवासी समुदाय हमारे देश के मूल निवासी हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ें और उनकी उन्नति में सहयोग करें।”
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को आदिवासी संस्कृति के महत्व से अवगत कराना और उनमें सामाजिक समावेश की भावना जगाना था। शिक्षकों ने इस बात पर जोर दिया कि विविधता ही हमारी ताकत है और हर संस्कृति का सम्मान करना हमारा नैतिक दायित्व है।
समारोह में उपस्थित सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं और विद्यार्थी इस सांस्कृतिक उत्सव से अभिभूत दिखे। यह आयोजन न केवल एक उत्सव था, बल्कि एक शैक्षिक अनुभव भी, जिसने छात्रों को भारत की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत परिचय दिया।
इस तरह के कार्यक्रम युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने और उनमें सामाजिक समरसता की भावना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एमजीएम विद्यालय द्वारा आयोजित यह समारोह इस दिशा में एक सराहनीय प्रयास था, जो निश्चित रूप से छात्रों के मन में लंबे समय तक याद रहेगा।
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