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रविवार, जुलाई 6, 2025
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जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास पर दीपका महाविद्यालय में कार्यशाला का आयोजन

कोरबा/हरदीबाजार (पब्लिक फोरम)। शासकीय महाविद्यालय दीपका में जनजातीय समाज के ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती, भगवान बिरसा मुंडा और रानी दुर्गावती के चित्रों पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद राज्यगीत का सामूहिक गायन किया गया।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता, वनवासी कल्याण आश्रम कोरबा के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद के सदस्य रघुराज सिंह उइके ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत की धरती जनजातीय वीर-वीरांगनाओं के बलिदान से पावन है। उन्होंने कहा, “नई पीढ़ी को हमारे गौरवशाली अतीत और परंपराओं की जानकारी होना बेहद जरूरी है। आधुनिकता के प्रभाव में हम अपनी सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परंपरा को भूलते जा रहे हैं। इसे पुनर्जीवित कर भावी पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।”

रघुराज सिंह उइके ने यह भी कहा कि जब आधुनिक शस्त्र नहीं थे, तब भी जनजातीय समाज ने अपने पारंपरिक अस्त्रों से देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने युवाओं को इस इतिहास से अवगत कराने और इसे आगे बढ़ाने की अपील की।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वनवासी कल्याण आश्रम के सदस्य श्रवण यादव ने कहा कि आदिवासी समाज ने न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दिया है। हमें इस गौरवशाली इतिहास को हमेशा याद रखना चाहिए और इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या ममता ठाकुर, शिक्षिका शिखा ठाकुर, और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। छात्रों ने जनजातीय समाज के योगदान पर गहन चर्चा की और अपनी संस्कृति को समझने के प्रति उत्साह दिखाया।

यह कार्यशाला न केवल जनजातीय समाज के अतीत को जानने का अवसर बनी, बल्कि युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़ने और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए प्रेरित भी किया। जनजातीय समाज का गौरवशाली इतिहास न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता है।

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