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रविवार, नवम्बर 16, 2025
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वेदांता के खिलाफ श्रमिकों का संघर्ष तेज़: 6 नवंबर को होगा नगर प्रशासन का प्रतीकात्मक पुतला दहन, बालको में बढ़ा जनआक्रोश

सेवानिवृत्त श्रमिकों के शोषण के विरोध में आंदोलन का अगला चरण घोषित

कोरबा (पब्लिक फोरम)। बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने वेदांता प्रबंधन पर लगातार श्रमिक शोषण, उत्पीड़न और वैधानिक अधिकारों के हनन के आरोप लगाते हुए आंदोलन को और तीव्र करने की घोषणा की है। समिति ने बताया है कि आगामी 6 नवंबर 2025 को बालको नगर प्रशासन विभाग एवं संबंधित अधिकारियों का प्रतीकात्मक पुतला दहन किया जाएगा। यह कार्यक्रम वेदांता द्वारा सेवानिवृत्त श्रमिकों की समस्याओं के समाधान में लगातार की जा रही उपेक्षा और वादाखिलाफी के विरोधस्वरूप आयोजित किया जा रहा है।

शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से होगा आयोजन

संघर्ष समिति के संयोजक बी.एल. नेताम ने जिलाधीश कोरबा को भेजे पत्र में स्पष्ट किया है कि यह कार्यक्रम पूर्णतः अहिंसात्मक, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से संपन्न होगा।
समिति ने प्रशासन से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोग की अपील की है और आश्वासन दिया है कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा।

समिति के अध्यक्ष बुद्धेश्वर चौहान और सचिव सुनील सुना ने कहा कि श्रमिकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की यह लड़ाई किसी एक संगठन की नहीं, बल्कि पूरे श्रमिक वर्ग की सामूहिक आवाज़ बन चुकी है।

बालको में जारी है अनिश्चितकालीन धरना

गौरतलब है कि 30 अक्टूबर 2025 से बालको नगर में सेवानिवृत्त श्रमिकों का शांतिपूर्ण अनिश्चितकालीन धरना जारी है।
वेदांता प्रबंधन पर आरोप है कि उसने सेवा-निवृत्त कर्मचारियों को वैधानिक लाभों से वंचित किया, अंतिम देय भुगतान रोका, चिकित्सा सुविधा बंद की, तथा बालको आवासीय कॉलोनी में बिजली-पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं को बाधित किया।

बालको बचाओ समिति ने आरोप लगाया है कि कंपनी द्वारा आवास खाली कराने के नाम पर डर, अपमान और मानसिक उत्पीड़न का वातावरण बनाया जा रहा है।
विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के साथ अशोभनीय व्यवहार और भयादोहन के कई मामले सामने आए हैं।
इसके अलावा, CSR के अंतर्गत आबंटित बालकोनगर सेक्टर 5 के आवासों से बाढ़ पीड़ित लगभग 300 परिवारों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के बेदखल किए जाने की कोशिशों ने भी असंतोष को और गहरा कर दिया है।
धरना स्थल पर हर दिन सेवानिवृत्त श्रमिकों, उनके परिजनों और स्थानीय नागरिकों की बढ़ती उपस्थिति इस संघर्ष को जन-आंदोलन का रूप देती जा रही है।

“मज़दूर सम्मान की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर”

संयोजक श्री नेताम ने कहा कि वेदांता जैसा कॉरपोरेट समूह यदि श्रमिकों के अधिकारों और सामाजिक न्याय की भावना की अनदेखी करेगा, तो यह केवल बालको की नहीं, बल्कि पूरे देश के श्रमिक वर्ग की चिंता का विषय है। उन्होंने कहा:है – “हम संविधान की मर्यादाओं और अहिंसा के सिद्धांतों के तहत संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन जब सत्ता और पूंजी दोनों ही बहरे हो जाएँ, तब प्रतीकात्मक प्रतिरोध भी एक ज़रूरी आवाज़ बन जाता है।” संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल ने स्पष्ट किया है कि यदि वेदांता प्रबंधन और प्रशासन ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो संघर्ष को और व्यापक रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।

प्रशासन को सौंपी गई औपचारिक सूचना

समिति ने आगामी कार्यक्रम की जानकारी जिलाधीश कोरबा, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, श्रम विभाग, नगर निगम और थाना प्रभारी बालको नगर को औपचारिक रूप से भेज दी है।
समिति ने कहा है कि आंदोलन के हर चरण में प्रशासन को सूचित रखा जाएगा ताकि कोई भी अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।

वर्षों पुरानी पीड़ा, अधूरे वादे

सेवानिवृत्त श्रमिकों की यह पीड़ा कोई नई नहीं है। वे पिछले कई वर्षों से अंतिम भुगतान, पेंशन, आवास अधिकार, चिकित्सा सुविधा और अन्य वैधानिक लाभों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
वेदांता प्रबंधन पर यह आरोप भी है कि उसने लाभ कमाने के लिए श्रम कानूनों की मनमानी व्याख्या कर, पुरानी पीढ़ी के श्रमिकों को हाशिए पर धकेल दिया।

संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक न्याय नहीं मिलता
संघर्ष समिति ने दोहराया है कि जब तक वेदांता प्रबंधन सेवानिवृत्त श्रमिकों के साथ न्यायपूर्ण समझौता नहीं करता, आंदोलन जारी रहेगा।
समिति ने कहा: — “यह केवल बालको के श्रमिकों की नहीं, बल्कि हर उस श्रमिक की लड़ाई है, जो अपने जीवन का पसीना इस देश के उद्योगों में बहाता है और बदले में सम्मान चाहता है।”

बालको नगर आज एक बार फिर श्रमिक संघर्ष का प्रतीक बनता जा रहा है: — जहां पूंजी और परिश्रम, मुनाफा और मानवता के बीच टकराव साफ़ दिखाई दे रहा है। अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन और वेदांता संवाद का रास्ता अपनाते हैं, या यह आंदोलन छत्तीसगढ़ के औद्योगिक इतिहास में न्याय की एक नई पुकार के रूप में दर्ज होगा।

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