कोरबा (पब्लिक फोरम)। पुरानी बस्ती, कटघोरा की निवासी छंदन बाई, पति स्व. गणेश राम, ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के लिए आवेदन करने के बाद भी अब तक लाभ न मिलने पर जिलाधीश कोरबा से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उनका परिवार पिछले 30-40 वर्षों से कच्चे मकान में रहने को मजबूर है और आज तक आवास योजना का कोई लाभ नहीं मिला है।
छंदन बाई एक निर्धन परिवार से हैं और रोज़ मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालती हैं। उनके पास गरीबी रेखा का राशन कार्ड (क्रमांक-223836216213) है और उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन किया है। इसके बावजूद, आज तक उन्हें योजना के तहत मकान आवंटित नहीं हुआ है। उनके पति का निधन हो चुका है, और वे अकेली अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा रही हैं।
उन्होंने जिलाधीश महोदय से विनती की है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान आवंटित किया जाए, ताकि वे और उनका परिवार एक बेहतर और सुरक्षित घर में जीवन जी सकें।
यह मामला प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और वंचित तबकों को उचित आवास मुहैया कराने की योजना से जुड़ा हुआ है। छंदन बाई की स्थिति, जिसमें वे विधवा हैं और कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं, सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही खामियों को दर्शाती है।
यहाँ सवाल उठता है कि छंदन बाई ने सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने के बावजूद भी उन्हें योजना का लाभ क्यों नहीं मिला। क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर कुछ अन्य कारणों से वे वंचित रह गई हैं? ऐसे मामलों में पारदर्शिता और सही समय पर योजना के लाभार्थियों को लाभ दिलाने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। यह मामला गरीब तबकों की कठिनाइयों और सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के बीच के अंतर को उजागर करता है।
समय पर सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने से गरीब परिवारों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं, और यह जरूरी है कि ऐसी महिलाओं, विशेषकर विधवाओं, को प्राथमिकता दी जाए, ताकि वे सुरक्षित और स्थिर जीवन जी सकें।
“छंदन बाई का आवेदन उनके संघर्ष की गवाही देता है, जो उन्हें उचित आवास का हकदार बनाता है। अब देखना होगा कि प्रशासन उनकी इस गुहार पर क्या कदम उठाता है।”
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