back to top
गुरूवार, फ़रवरी 6, 2025
होमUncategorisedबिहार में केवल चुनिन्दा कैदियों की रिहाई क्यूँ? -दीपंकर भट्टाचार्य

बिहार में केवल चुनिन्दा कैदियों की रिहाई क्यूँ? -दीपंकर भट्टाचार्य

बिहार (पब्लिक फोरम)। भाकपा-माले लिबरेशन के महासचिव कॉम दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि बिहार में 14 साल से अधिक जेल में पूरा कर चुके 27 कैदी जब छोड़े जा रहे हैं तो अरवल के छह ग्रामीण गरीबों के आंदोलनकारी कार्यकर्ता जगदीश यादव, चुरामन भगत, अरविंद चौधरी, अजित साव, लक्ष्मण साव, श्याम चौधरी को जेल में 22 साल से अधिक बिताने के बावजूद रिहा क्यों नहीं किया जा रहा है?

वे उन 14 कॉमरेडों में से जीवित हैं। जिनको टाडा के तहत 2003 में न्याय का मखौल उड़ाते हुए सजा दे दी गयी थी. इन में से छह टाडा बंदी- कॉमरेड शाह चाँद, मदन सिंह, सोहराय चौधरी, बालेश्वर चौधरी, मंहगू चौधरी और माधव चौधरी की पहले ही जेल में मृत्यु हो चुकी है।

केवल 01 टाडा बंदी- कॉमरेड त्रिभुवन शर्मा को उच्च न्यायालय द्वारा 2020 में रिहा किया गया था. तब से तीन वर्ष बीत गए हैं, एक और टाडा बंदी की जेल में मृत्यु हो चुकी है और अब कैदियों की इस चुनिंदा रिहाई से बिहार की जेलों में दो दशक से अधिक काट चुके, इन पीड़ितों के साथ फिर अन्याय किया गया है।

कैदियों की रिहाई की नीति न्यायपूर्ण और पारदर्शी होनी चाहिए।
टाडा के सभी बंदियों को रिहा करो. शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद सभी उत्पीड़ित गरीबों को रिहा करो।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments