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सोमवार, सितम्बर 29, 2025
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बस्तर की बेटियों के साथ बर्बरता पर कब बोलेंगे मंत्री केदार कश्यप? नवनीत चांद ने उठाए सवाल

जगदलपुर (पब्लिक फोरम)। बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा के संयोजक एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के संभागीय अध्यक्ष नवनीत चांद ने नारायणपुर की आदिवासी युवतियों के साथ हुई घटनाओं को लेकर सरकार और खासतौर पर बस्तर के मंत्री केदार कश्यप की चुप्पी पर तीखा सवाल उठाया है।

श्री चांद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि नारायणपुर की युवतियों ने स्वयं एसपी के समक्ष यह बयान दिया है कि उनके साथ किसी भी प्रकार का लालच, जबरदस्ती या अवैध धर्मांतरण नहीं हुआ। इसके बावजूद उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, और अब तक इस घटना पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि जब नारायणपुर की आदिवासी बेटियाँ अपने साथ हुई ज्यादतियों को लेकर सामने आ रही हैं, तो सरकार में शामिल बस्तर के एकमात्र मंत्री केदार कश्यप कब तक चुप रहेंगे? क्या वे अपने ही विधानसभा क्षेत्र की इन बच्चियों के लिए आवाज नहीं उठाएंगे?

सरकार और हिंदू संगठनों पर सियासी खेल का आरोप

श्री चांद ने कहा कि बस्तर में बार-बार “अवैध धर्मांतरण” का मुद्दा उठाकर एक सोची-समझी सियासी रणनीति अपनाई जा रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि विधानसभा में स्वयं गृह मंत्री ने बताया है कि पूरे राज्य में धर्मांतरण के कुल 102 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से मात्र 44 ही पंजीबद्ध हुए हैं और एक भी मामला बस्तर से नहीं है।

इसके बावजूद भी हिंदू संगठनों द्वारा बस्तर को निशाना बनाकर स्थानीय संस्कृति और सामाजिक सौहार्द को बाधित किया जा रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है।

दुर्ग प्रकरण में शामिल नेत्री पर एफआईआर की मांग

श्री नवनीत चांद ने कहा कि दुर्ग नन सिस्टर्स प्रकरण में शामिल एक हिंदूवादी नेत्री पर अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, जबकि नारायणपुर की पीड़ित युवतियों ने स्पष्ट रूप से बताया है कि उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा शीघ्र ही इस संबंध में आईजी से मुलाकात करेगा और दुर्ग प्रकरण में शामिल नेत्री के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की मांग करेगा। साथ ही यह भी मांग की जाएगी कि नारायणपुर की पीड़ित बच्चियों को पूरा न्याय दिलाया जाए।

बस्तर की शांति से खिलवाड़ न हो – चेतावनी

श्री चांद ने स्पष्ट कहा कि बस्तर की जनता, विशेषकर आदिवासी समाज को राजनीतिक हथकंडों का शिकार बनाया जा रहा है। धर्म और जाति के नाम पर नफरत फैलाना, सामाजिक ताने-बाने को तोड़ना और शांति के टापू कहे जाने वाले बस्तर को अस्थिर करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

सरकार की कथनी और करनी में फर्क

प्रेस विज्ञप्ति में श्री चांद ने यह भी कहा कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है। अगर सरकार वास्तव में धर्मांतरण को लेकर गंभीर है, तो उसे सबसे पहले बस्तर में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों और अदालत की प्रक्रिया से पहले की जा रही सामाजिक बदनामी को रोकना होगा।

बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा द्वारा उठाए गए सवाल इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बस्तर में न्याय और अस्मिता के प्रश्न अब केवल सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संघर्ष का भी विषय बन चुके हैं। मंत्री केदार कश्यप की चुप्पी और दुर्ग प्रकरण में शामिल संगठनों की भूमिका को लेकर उठे सवालों का जवाब देना अब सरकार की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी बन गई है।

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