शनिवार, नवम्बर 23, 2024
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80 वर्षीय वृद्धा को शासकीय योजना का लाभ न मिलने पर आदिवासी बेटे ने मां को गोद में उठाकर पहुंचाया कलेक्टर के पास: प्रशासन ने दिए जांच के आदेश!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। गरीबी और शारीरिक असमर्थता के चलते शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने से त्रस्त 80 वर्षीय वृद्ध आदिवासी महिला समांरीन बाई और उनका बेटा बंधन सिंह कंवर मजबूर होकर सोमवार को कलेक्टर के पास पहुंचे। समांरीन बाई चलने-फिरने में असमर्थ हैं और कई महीनों से वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने में असफल रहीं। उनका बेटा, जिसने अपनी मां को गोद में उठाकर कलेक्टर के द्वार पहुंचाया, प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है।

पेंशन और सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला
बंधन सिंह का कहना है कि उनकी मां को विगत 4-5 महीनों से पेंशन नहीं मिली है। इसके लिए वे लगातार ग्राम पंचायत और सरकारी अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। वे हाल ही में जामबाहर CSC सेंटर से पेंशन निकलवाने गए थे, परंतु खाते में कोई धनराशि नहीं आई। इस मुद्दे को लेकर जब ग्राम पंचायत के सचिव और सरपंच से बात की गई, तो उन्होंने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी। सरपंच ने इसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की लापरवाही बताया, जबकि सचिव ने स्वीकारा कि वृद्धा पेंशन में समांरीन बाई का नाम जोड़ा गया है, लेकिन महतारी वंदना योजना में उनका नाम अभी तक नहीं जोड़ा गया।

प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिला
बंधन सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला घर भी अब तक पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वे आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं और उनके पास उनकी मां के अलावा कोई अन्य सहारा नहीं है। समांरीन बाई की हालत खराब है और वे अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकतीं, इसलिए बंधन उन्हें कभी भी अकेला छोड़कर कहीं नहीं जा पाते।
इस मुद्दे पर सचिव का कहना है कि समांरीन बाई की आवास योजना की पहली किश्त जारी हो चुकी है और बंधन सिंह इसे पहले ही निकाल चुके हैं। लेकिन फिर भी बंधन का कहना है कि उन्हें अभी तक कोई राहत नहीं मिली है और वे प्रशासन से न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं।

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
सोमवार को जब बंधन सिंह अपनी मां को गोद में लेकर कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत के जनदर्शन कार्यक्रम में पहुंचे, तो कलेक्टर ने उनकी समस्या को गंभीरता से लिया। उन्होंने तत्काल जनपद सीईओ को आवेदन की जांच कर आवश्यक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए। साथ ही, समाज कल्याण, स्वास्थ्य विभाग और अन्य शासकीय योजनाओं से समांरीन बाई को लाभ दिलाने का आश्वासन भी दिया।

क्या मिलेगा न्याय?
अब देखना यह है कि प्रशासन की जांच के बाद समांरीन बाई को पेंशन, प्रधानमंत्री आवास और महतारी वंदना योजना का लाभ मिल पाता है या नहीं। एक वृद्ध महिला की असमर्थता और गरीबी के इस दुखद पहलू ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन क्या प्रशासनिक लापरवाही की यह जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे उखाड़ना संभव हो सकेगा? अब इसका जवाब तो जांच पूरी होने के बाद ही मिलेगा।
आदिवासी बंधन सिंह और उनकी मां की यह कहानी उस संघर्ष की दास्तां है, जिसमें सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए कितने गरीब और असहाय लोग दर-दर भटकने को मजबूर होते हैं। यह घटना एक सवाल खड़ा करती है कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक सरकारी योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुंचता, और यदि कोई लापरवाही होती है, तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है?

“प्रशासन से उम्मीद: कलेक्टर अजीत वसंत के हस्तक्षेप के बाद अब बंधन सिंह और उनकी मां को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले की जांच कर जल्द से जल्द उचित राहत प्रदान करें।”

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