खरसिया(पब्लिक फोरम) । शासकीय महात्मा गाँधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरसिया का हिंदी विभाग 2017 से छात्रों के बहुमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध है. यह इस बात से स्पष्ट होता है कि विभाग में कवि लेखक की जयंती से लेकर हर दिवस पर कार्यशाला, दिवस, कैरियर मार्गदर्शन आदि का आयोजन प्रति वर्ष अनेक बार कर लिया जाता है. यहाँ तक कि छात्रों के परिवार में सुख हो या दुःख हो, विभाग उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करने से भी नहीं चुकता. यह सभी हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ आर के टंडन के अथक प्रयास से संभव हो पाता है. अपने हिंदी के छात्रों को विषय से सम्बंधित कोई भी ज्ञान बांटने या दिशा निर्देश देने के कोई भी अवसर विभागाध्यक्ष डॉ रमेश टंडन नही चुकते. इसी कड़ी में होली त्यौहार के ठीक एक दिन पूर्व इन्हें एक उम्दा वक्ता मिल जाने पर छात्रों के लिए कैरियर मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन विभाग में रख डाला. दिनांक 13 मार्च 2025 को “एम. ए. हिन्दी के बाद क्या करें” विषय पर बिना रंग के शांतिपूर्ण आयोजित कार्यशाला में वक्ता के रूप में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के पी-एच. डी. शोधार्थी घनश्याम टंडन (यूजीसी नेट जेआरएफ) को आमंत्रित किया गया. इन्होंने सेट, नेट, पी-एच. डी. जेआरएफ कैसे की जाती है, लघु शोध, पीएचडी शोध प्रबंध कैसे लिखी जाती है, शोध प्रबंध की अनुक्रमणिका कैसे होती है, बताया. इन्होंने शोध के लिए समाज शास्त्रीय पद्धति की लेखन शैली को अच्छा बताया, साथ ही प्रस्तावना, उद्देश्य, लेखक या कवि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व, उनकी रचनाओं की समीक्षा करते हुए उपसंहार तक पहुंचने की बात कही. डॉ टंडन ने अपने अनुभव को साझा करते हुए नेट सेट एपी के पाठ्यक्रम को छात्रों को अवगत कराया. एक साल पूर्व ही एम ए हिंदी उत्तीर्ण छात्रा मोंगरा राठिया (नेट) ने भी अपने अनुभव को बताते हुए छात्रों में नेट सेट परीक्षा के प्रति उत्साह का संचार किया. चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा यामिनी राठौर को डॉ टंडन ने डॉ मीनकेतन प्रधान विरचित दो किताबें “महानदी” और “करू काल” प्रदान की. यह छात्रा अभी चतुर्थ प्रश्न पत्र में इन्ही किताबों पर लघु शोध प्रबंध लिखेगी. साथ ही छात्र दामोदर पटेल “माली” और “कोटवार” उपन्यास पर शोध प्रबंध लिखेंगे और छात्रा बुबुन घृतलहरे डॉ दिनेश श्रीवास की कहानियों पर लघु शोध लिखेगी. कार्यशाला का मंच सञ्चालन छात्रा यामिनी ने एवं आभार के साथ छात्रों का मार्गदर्शन विभागीय शिक्षक डॉ डायमंड साहू ने किया । इस कार्यशाला का लाभ विभागीय शिक्षक प्रो. कुसुम चौहान एवं प्रो. अंजना शास्त्री, अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक भवेश पाटिल, इतिहास से प्रो. संतोष दास तथा छात्रों में यामिनी राठौर, बुबुन घृतलहरे, श्रेया सागर, श्रद्धा कुर्रे, जीतू जोशी, उमा साहू, दामोदर पटेल, दामिनी बंजारे, दिलेश्वरी साहू, तोष कुमारी साहू, पुष्पेन्द्र राठिया, शांति भारद्वाज, ज्योत्सना भारद्वाज, गज बाई भारद्वाज, सलीम राठिया, अन्नपूर्णा जायसवाल, दीक्षा जायसवाल, आकांक्षा राठौर, सोनू कुमार बंजारे, पंकज कुमार वारे, आर्यन कुर्रे, पायल जायसवाल, शशिकला महंत, अंजली सिदार, कुन्ती सिदार, धनेश्वरी लहरे आदि ने लिया।
एमए हिन्दी के बाद क्या करें आयोजित कार्यशाला में घनश्याम टंडन ने दिया मार्गदर्शन
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