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रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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एसईसीएल की मनमानी के खिलाफ भूविस्थापितों का आंदोलन: 13 सितंबर को खदान बंदी की चेतावनी

एसईसीएल पर ग्रामीणों को धमकाने के आरोप, विधायक प्रेमचंद पटेल का समर्थन

कोरबा (पब्लिक फोरम)  साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के गेवरा क्षेत्र में अर्जित गांव दर्राखांचा और अमगांव के ग्रामीणों ने एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। कटघोरा क्षेत्र के विधायक प्रेमचंद पटेल की मौजूदगी में हुई बैठक में ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन ने भूविस्थापित परिवारों के साथ किए गए रोजगार, मुआवजा और बसाहट के वादों को तोड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजा राशि में भी भारी कटौती की जा रही है। विधायक पटेल ने 13 सितंबर को होने वाले खदान बंद आंदोलन में ग्रामीणों के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया।

ग्रामीणों का आरोप: भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास में एसईसीएल की मनमानी
ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास के नियमों का पालन नहीं कर रहा है। अमगांव का अधिग्रहण 2009 में किया गया था और अब 15 साल बाद शेष मकानों और परिसंपत्तियों का सर्वे कर मुआवजा तय किया जा रहा है। पहले छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति के तहत मुआवजा दिया जाता था, लेकिन अब केंद्रीय भू-अर्जन पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम लागू किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कोल बेयरिंग एक्ट और कोल इंडिया पॉलिसी 2012 के प्रावधानों का दुरुपयोग कर उन्हें उनके हक से वंचित किया जा रहा है।

विधायक पटेल का समर्थन, ग्रामीणों की मांगों को आगे बढ़ाने का आश्वासन
विधायक प्रेमचंद पटेल और अन्य जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि वे उनकी मांगों के समर्थन में खड़े रहेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल के पूर्व प्रबंधन ने वादा किया था कि मकानों और परिसंपत्तियों के सर्वे में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी और मकान के बदले 15 लाख रुपये तथा निजी भूमि पर बने मकानों के लिए 6 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन अब ग्रामीणों को बताया गया है कि मुआवजा राशि में भारी कटौती कर दी गई है, जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते।

प्रबंधन पर धमकाने के आरोप, 13 सितंबर को खदान बंदी की चेतावनी
ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल के अधिकारी वर्तमान कर्मचारियों को मकान खाली करने के लिए धमका रहे हैं। मना करने पर नौकरी से निलंबित करने की चेतावनी दी जा रही है और अन्य लोगों को भी मकान खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इससे आदिवासी कर्मचारियों के बीच डर और असुरक्षा का माहौल है। सरपंच और पंचों पर भी प्रशासनिक दबाव के तहत धमकी दी जा रही है।

इस स्थिति से परेशान होकर ग्रामीणों ने 13 सितंबर को गेवरा और दीपका के अमगांव और मलगांव फेस की खदानें बंद करने की चेतावनी दी है। इस आंदोलन को विधायक प्रेमचंद पटेल, जनपद सदस्य अनिल टंडन, मुकेश जायसवाल और अन्य जनप्रतिनिधियों का समर्थन मिला है। बैठक में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे, जिनमें भूविस्थापित नेता सपूरन कुलदीप, विजय पाल तंवर, संतोष चौहान, अनसुइया राठौर, ललित महिलांगे, व्यास राठौर, बसंत चौहान और मनीराम भारती शामिल थे।

एसईसीएल की तानाशाही: गरीबों के मकानों पर बुलडोजर चला, विरोध बढ़ा
अमगांव के कबाड़ी मोहल्ले में एसईसीएल ने गरीबों के मकान खाली कराने के लिए बुलडोजर चला दिया, जिससे ग्रामीणों में भय और आक्रोश फैल गया है। ग्राम सरपंच को एसईसीएल दीपका के कार्यालय में बुला लिया गया था ताकि विरोध को दबाया जा सके और मकानों को आसानी से ध्वस्त किया जा सके। प्रबंधन की इस मनमानी के खिलाफ क्षेत्र में भारी आक्रोश है। मुआवजा और अन्य सुविधाएं अभी तक ग्रामीणों को नहीं मिली हैं और बारिश के मौसम में लोगों को घर से बेदखल करना मानवता के खिलाफ है।

एसईसीएल की नीतियों और कार्यों के कारण ग्रामीणों में असंतोष और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। भूविस्थापित परिवारों का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे खदान बंद आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। इस पूरे मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की जा रही है ताकि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके।

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