कोरबा (पब्लिक फोरम)। ऊर्जाधानी कोरबा की शांत फिजाओं में एक बड़े आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) ने स्थानीय निवासियों और विशेषकर आदिवासी समुदाय से जुड़ी 18 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रशासन के सामने एक मजबूत दावा पेश किया है। पार्टी के जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने कलेक्टर को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं और चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के भीतर इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे एक व्यापक और “उग्र आंदोलन” करने के लिए विवश होंगे।
क्या हैं प्रमुख मांगें? दिल में दबी वर्षों की पीड़ा
यह ज्ञापन केवल कुछ मांगों का पुलिंदा नहीं, बल्कि उस आम आदमी की आवाज है जो विकास की चकाचौंध में कहीं पीछे छूट गया है। गोंगपा द्वारा उठाई गई 18 मांगें सीधे तौर पर जमीन, जंगल, रोजगार और आत्मसम्मान से जुड़ी हैं। सूत्रों के अनुसार, इन मांगों में मुख्य रूप से शामिल हैं:
– पेसा कानून का सख्ती से पालन: आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभा को सर्वोच्च अधिकार देने वाले पेसा कानून को उसकी मूल भावना के साथ लागू किया जाए।
– विस्थापितों का पुनर्वास: खदानों और औद्योगिक परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए हजारों परिवारों को उचित मुआवजा और सम्मानजनक पुनर्वास सुनिश्चित हो।
– स्थानीय युवाओं को रोजगार: कोरबा की औद्योगिक इकाइयों में 75% नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित की जाएं।

– वन अधिकार मान्यता: वर्षों से जंगलों में रह रहे आदिवासियों को उनके पारंपरिक वन अधिकारों का पट्टा दिया जाए।
– मूलभूत सुविधाओं का विस्तार: दूरदराज के गांवों तक सड़क, शुद्ध पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जाएं।
– भ्रष्टाचार पर लगाम: सरकारी योजनाओं और भूमि अधिग्रहण में हो रहे भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच हो।
यह मांगें उस गहरी पीड़ा और उपेक्षा को दर्शाती हैं, जिसे इस क्षेत्र के मूल निवासी दशकों से महसूस कर रहे हैं।
प्रशासन के सामने 15 दिन की चुनौती
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा दिए गए 15 दिन के समय ने जिला प्रशासन पर एक नैतिक और प्रशासनिक दबाव बना दिया है। अब गेंद प्रशासन के पाले में है। क्या प्रशासन पार्टी के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाकर मांगों का कोई सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेगा, या इस चेतावनी को नजरअंदाज कर एक टकराव की स्थिति उत्पन्न होने देगा? यह आने वाले दो सप्ताह कोरबा के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे।
आगे क्या? शांति या संघर्ष?
कोरबा एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां से एक रास्ता संवाद और समाधान की ओर जाता है और दूसरा रास्ता टकराव और आंदोलफ़न की ओर। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का स्पष्ट है – या तो अधिकार, या फिर संघर्ष। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों पर क्या रुख अपनाता है और क्या कोरबा की धरती पर शांति बनी रहेगी या एक नए आंदोलन का सूत्रपात होगा, जिसका असर पूरे प्रदेश पर पड़ सकता है। आम जनता बस यही उम्मीद कर रही है कि उनके हकों की सुनवाई हो और उन्हें शांतिपूर्ण जीवन जीने का अवसर मिले।
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