पुराने रोजगार प्रकरणों पर होगी त्वरित कार्यवाही: सीएमडी का आश्वासन
कोरबा (पब्लिक फोरम)। एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा और दीपका क्षेत्र के भू-विस्थापितों की समस्याओं को लेकर छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित संगठन द्वारा प्रस्तावित 1 जनवरी को खदान बंद हड़ताल को सकारात्मक चर्चा के बाद स्थगित कर दिया गया है। यह फैसला एसईसीएल के सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा और किसान सभा के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया। बैठक में पुराने रोजगार प्रकरणों के समाधान, खमहरिया की जमीन मूल किसानों को लौटाने और विस्थापितों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
बैठक में एसईसीएल के सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा, डीपी, डीटी, बोर्ड मेंबर और कुसमुंडा जीएम के साथ किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रशांत झा, रेशम यादव और दामोदर श्याम मौजूद रहे। इस दौरान सीएमडी ने आश्वासन दिया कि:
1. अधिग्रहित जमीन के खातेदारों को रोजगार:
जिनकी जमीन अधिग्रहित हुई है, उन्हें नियमानुसार रोजगार प्रदान किया जाएगा।
2. गलत रोजगार मामलों की समीक्षा:
यदि किसी अन्य व्यक्ति ने विस्थापित के स्थान पर गलत तरीके से रोजगार प्राप्त किया है, तो एक माह के भीतर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
3. अधिकारियों की जिम्मेदारी तय:
रोजगार प्रकरणों की निगरानी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति होगी।
23 दिसंबर को भू-विस्थापितों ने बिलासपुर मुख्यालय के सामने अर्द्धनग्न प्रदर्शन किया था। उन्होंने सभी खातेदारों को रोजगार देने और खमहरिया की जमीन वापस लौटाने की मांग उठाई। प्रदर्शन के बाद बिलासपुर मुख्यालय में एक बैठक आयोजित हुई, जहां लिखित आश्वासन दिया गया। हालांकि, विस्थापितों ने आश्वासन को गुमराह करने वाला बताते हुए 1 जनवरी को खदान बंद हड़ताल की घोषणा कर दी थी।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने बैठक में कहा, “एसईसीएल को सभी खातेदारों को स्थायी रोजगार देना होगा। हर साल सिर्फ एक नौकरी देकर गुमराह करने की नीति बंद होनी चाहिए, अन्यथा संघर्ष और तेज होगा।”
वहीं, भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम और रेशम यादव ने कहा कि 1978 से 2004 के बीच अधिग्रहित जमीन पर विस्थापितों को अब तक न रोजगार मिला है, न पुनर्वास। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि 10 दिनों के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
भू-विस्थापितों की प्रमुख मांगें:
1. पुराने प्रकरणों का निपटारा:
1978 से 2004 तक अधिग्रहित जमीन के प्रत्येक खातेदार को रोजगार दिया जाए।
2. लंबित फाइलों का समाधान:
बिलासपुर मुख्यालय में लंबित फाइलों का त्वरित निपटारा हो।
3. खमहरिया की जमीन:
अधिग्रहित जमीन किसानों को लौटाई जाए।
4. पुनर्वास:
भैसमाखार विस्थापितों को पुनर्वास सुविधाएं प्रदान की जाएं।
सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा ने कहा कि सभी लंबित प्रकरणों पर तेज़ी से कार्रवाई होगी और विस्थापितों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया जाएगा। बैठक के परिणामस्वरूप, किसान सभा ने खदान बंद हड़ताल स्थगित करने का निर्णय लिया है।
यह बैठक एसईसीएल के प्रभावित क्षेत्रों में वर्षों से लंबित रोजगार और पुनर्वास के मुद्दों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, यदि प्रबंधन द्वारा आश्वासन के अनुरूप कार्यवाही नहीं हुई, तो विस्थापितों और किसान सभा का आंदोलन फिर से उग्र रूप ले सकता है। यह जरूरी है कि एसईसीएल प्रशासन विस्थापितों की समस्याओं का समयबद्ध और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करे।
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