भिलाई (पब्लिक फोरम)। ऐक्टू (AICCTU) के तत्वावधान में ऑल इंडिया कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इपीएस पेंशनर्स एसोसिएशन की एक महत्वपूर्ण बैठक भिलाई के सेक्टर-2, सड़क-6 पर आयोजित की गई। इस बैठक में पेंशनर्स की समस्याओं और मांगों पर चर्चा की गई और आगे की रणनीति तय की गई। बैठक को बृजेन्द्र तिवारी, मुक्तानंद साहू, आरपी वर्मा, गौतम दास साहू, अब्दुल अजीम और अजय कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।
पेंशनर्स की मुख्य मांगें!
1. न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये: पेंशनर्स की मांग है कि न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये की जाए और इसे महंगाई भत्ते (डीए) से जोड़ा जाए।
2. रियायती यात्रा भत्ता और निःशुल्क इलाज: पेंशनर्स चाहते हैं कि उन्हें रियायती यात्रा भत्ता और निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं।
3. हायर पेंशन का शीघ्र निपटारा: हायर पेंशन के दावों को तुरंत संसाधित किया जाए।
4. पेंशन राशि का शेयर बाजार में निवेश न करें: पेंशनर्स की मांग है कि उनकी पेंशन राशि को शेयर बाजार में निवेश न किया जाए और यदि निवेश किया गया है, तो सरकार उसकी गारंटी दे।
5. पीएफ दावों की जांच: पीएफ के दावों का भुगतान न करने के मामलों की जांच की जाए।
6. ईपीएस-95 में बदलाव रद्द करें: सितंबर 2014 में ईपीएस-95 में किए गए बदलाव (E-609) को रद्द किया जाए।
भिलाई इस्पात संयंत्र के पेंशनर्स की विशेष मांग!
बैठक में भिलाई इस्पात संयंत्र के पेंशनर्स की एक विशेष समस्या पर भी चर्चा की गई। पेंशनर्स की मृत्यु के बाद उनकी पत्नियों को पेंशन मिलने में हो रही दिक्कतों को तुरंत दूर करने की मांग की गई। इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल संबंधित अधिकारियों से मिलकर एक ज्ञापन सौंपेगा
केंद्र सरकार की नीतियों की निंदा!
बैठक में केंद्र सरकार द्वारा इपीएस पेंशनर्स की मांगों को लगातार अनदेखा करने की कड़ी निंदा की गई। पेंशनर्स ने कहा कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है, जिससे उन्हें आर्थिक और सामाजिक तौर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
11 फरवरी को जंतर-मंतर पर धरना
पेंशनर्स की मांगों को लेकर 11 फरवरी को जंतर-मंतर, नई दिल्ली में एक बड़ा धरना आयोजित किया जाएगा। यह धरना पेंशनर्स के हक के लिए एकजुट होकर आवाज उठाने का प्रयास है। पेंशनर्स ने कहा कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
पेंशनर्स की यह लड़ाई सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षा की लड़ाई है। वे अपने जीवन के सुनहरे सालों में आर्थिक तंगी और सरकारी उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। उनकी यह आवाज केवल उनकी नहीं, बल्कि उन परिवारों की भी है जो उन पर निर्भर हैं।
भिलाई के पेंशनर्स की यह बैठक उनकी एकजुटता और संघर्ष का प्रतीक है। उनकी मांगें न्यायसंगत हैं और सरकार को इन पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। 11 फरवरी को जंतर-मंतर पर होने वाला धरना पेंशनर्स की आवाज को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
Recent Comments