कोरबा (पब्लिक फोरम)। वेदांता समूह की सहायक इकाई भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) एक बार फिर श्रमिक अधिकारों को लेकर विवादों में घिर गई है। प्रबंधन पर श्रमिक प्रताड़ना, सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अंतिम भुगतान में देरी, तथा चिकित्सा और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखने के गंभीर आरोप लगे हैं। इसी पृष्ठभूमि में, 15 अक्टूबर को बालकोनगर, एकता पीठ परिसर में सुबह 11: 30 बजे से सेवानिवृत्त श्रमिकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है, जो वर्षों से अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत कामगारों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में देखी जा रही है।
यह आयोजन उन अनकही कहानियों को सामने लाने का प्रयास है जो बालको संयंत्र की दीवारों के भीतर वर्षों से दबकर रह गई थीं। जिन कामगारों ने अपनी पूरी जिंदगी कंपनी को दी, वे आज अपने ही वैध अधिकारों के लिए भटकने को मजबूर हैं। उनकी आँखों में निराशा और भविष्य को लेकर असुरक्षा की झलक साफ दिखाई देती है।
मुख्य मुद्दे: सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी है संघर्ष
बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों को उठाया जाएगा, वे बालको प्रबंधन की कार्यप्रणाली और मानवीय दृष्टिकोण पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं: —
🔻अंतिम भुगतान में देरी
अनेक सेवानिवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें प्रोविडेंट फंड, ग्रेच्युटी और अन्य देय राशि का भुगतान वर्षों बाद भी नहीं मिला है। इससे वे गंभीर आर्थिक तंगी और सामाजिक अपमान का सामना कर रहे हैं।
🔻चिकित्सा सुविधाओं से वंचित
उम्र के इस पड़ाव पर जहां चिकित्सा सुविधा सबसे अहम होती है, वहीं बालको के कई पूर्व कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें और उनके परिवारों को कंपनी की स्वास्थ्य सेवाओं से पूरी तरह वंचित कर दिया गया है।
🔻आवास खाली कराने का अमानवीय दबाव
दशकों से कंपनी के क्वार्टरों में रह रहे सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर आवास खाली करने के लिए बिजली-पानी काटकर और शौचालय सिस्टम क्षतिग्रस्त करके निरंतर अमानवीय दबाव डाला जा रहा है। जबकि उनका अंतिम भुगतान तक पूरा नहीं हुआ है। यह स्थिति उन्हें बेघर होने की कगार पर ले आई है।
🔻कार्यरत श्रमिकों की प्रताड़ना
बैठक में वर्तमान कर्मचारियों से जुड़े ज्वलंत मुद्दे भी उठाए जाएंगे, जिनमें प्रबंधन द्वारा कथित मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न शामिल है।
“रिटायर्ड कामगार समूह” बना उम्मीद की किरण
क्षेत्र में श्रमिक संगठनों के बीच “रिटायर्ड कामगार समूह” तेजी से एक प्रभावी संगठन के रूप में उभरा है। यह समूह उन सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अधिकारों के लिए मुखर है, जिन्हें प्रायः यूनियनों और प्रशासनिक दायरे से बाहर कर दिया जाता है।
15 अक्टूबर की उक्त बैठक को एक बड़े जनांदोलन की शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य वेदांता प्रबंधन पर तत्काल समाधान के लिए नैतिक और सामाजिक दबाव बनाना है।
प्रबंधन का पक्ष और भविष्य की दिशा
अब तक वेदांता-बालको प्रबंधन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, प्रबंधन का पूर्व कथन है कि वह सभी औद्योगिक और श्रम कानूनों का पालन करता है तथा कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखता है।
लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है — जहां हक की मांग को प्रतिरोध के रूप में देखा जाता है, और सेवानिवृत्त श्रमिकों की आवाजें तो ठंडी फाइलों में ही दबा दी जाती हैं।
आगामी बैठक का महत्व
15 अक्टूबर की यह बैठक केवल एक संगठनात्मक कार्यक्रम नहीं, बल्कि श्रमिक सम्मान और औद्योगिक न्याय की कसौटी है। यह तय करेगी कि क्या संवाद और समाधान का कोई रास्ता खुलेगा? या फिर संघर्ष का नया अध्याय शुरू होगा।
यह घटना सिर्फ बालको के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिक अधिकारों की स्थिति का प्रतीक बन सकती है।
अब सभी की निगाहें बालको एकता पीठ पर टिकी हैं — जहां न्याय की उम्मीद और संघर्ष की दृढ़ता, दोनों एक साथ आकार लेने वाली हैं।
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