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बुधवार, मार्च 12, 2025
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मलगांव पंचायत विलोपन के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश: कलेक्ट्रेट घेराव, प्रशासन के खिलाफ चुनाव बहिष्कार की चेतावनी

कोरबा (पब्लिक फोरम)। मलगांव पंचायत को विलोपित किए जाने के निर्णय ने ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। सोमवार को बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने रैली निकालकर कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव किया और विलोपन आदेश को वापस लेने की मांग की। प्रशासनिक अधिकारी उन्हें समझाने में असमर्थ रहे, जिसके बाद कलेक्टर अजीत वसंत खुद ग्रामीणों के बीच पहुंचे और स्थिति को शांत किया।

कोरबा जिले के कटघोरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मलगांव और अमगांव को एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा गेवरा खनन विस्तार के लिए अधिग्रहित किया गया है। इस अधिग्रहण के साथ ही पंचायतों को विलोपित करने का आदेश जारी कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि इस निर्णय से उनकी आजीविका और अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बिना पुनर्वास और मूलभूत सुविधाएं प्रदान किए उनके गांवों को खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है।

ग्रामीणों का विरोध और कलेक्ट्रेट घेराव
सोमवार को मलगांव और आसपास के सैकड़ों ग्रामीणों ने रैली निकालते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव किया। बिना किसी पूर्व सूचना के पहुंची भीड़ ने नारेबाजी करते हुए प्रशासन के खिलाफ रोष व्यक्त किया। प्रदर्शनकारी विलोपन आदेश को रद्द करने और 2025 के पंचायत चुनाव कराने की मांग कर रहे थे।

कलेक्टर की समझाइश के बाद स्थिति सामान्य
प्रदर्शनकारियों के कलेक्टर से मिलने की मांग पर अड़े रहने के कारण कलेक्टर अजीत वसंत को खुद ग्रामीणों के बीच जाना पड़ा। उन्होंने ग्रामीणों को शांत करते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया। इसके बाद, ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर घेराव समाप्त कर दिया।

ग्रामीणों की चेतावनी: चुनाव का बहिष्कार करेंगे
ग्रामीणों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि विलोपन आदेश रद्द नहीं किया गया तो वे आगामी पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
1. गांव को बसाहट का दर्जा दिया जाए।
2. 18 वर्ष या अधिक उम्र के युवाओं को बसाहट की पात्रता दी जाए।
3. बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया जाए।
4. मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के बाद ही गांव खाली कराया जाए।
5. आगामी पंचायत चुनाव सुनिश्चित किए जाएं।

समिति की कड़ी प्रतिक्रिया
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने विलोपन के इस निर्णय की कड़ी निंदा की है। समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने प्रशासन और एसईसीएल पर जनविरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विस्थापितों को पुनर्वास नीतियों के तहत लाभ नहीं दिया जा रहा है और उन्हें डराने-धमकाने के लिए कानूनी कार्रवाई और अन्य साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

श्री कुलदीप ने कहा, “30 वर्षों से रोजगार और पुनर्वास की आस लगाए युवा अब बूढ़े हो चुके हैं। प्रशासन की इस तानाशाही के खिलाफ जनआंदोलन और तीव्र होगा।”

ग्रामीणों और विस्थापितों के आक्रोश ने विलोपन के इस निर्णय को लेकर प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यदि प्रशासन समय रहते समाधान नहीं निकालता है, तो यह जनआंदोलन और भी बड़ा और उग्र हो सकता है।
यह मामला केवल प्रशासनिक आदेश का विरोध नहीं है, बल्कि ग्रामीणों की आजीविका, अधिकार और अस्तित्व से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। प्रशासन को चाहिए कि वह ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से सुने और उनके पुनर्वास और रोजगार के लिए ठोस कदम उठाए।
ग्रामीणों के अधिकारों की अनदेखी करना न केवल सामाजिक असंतोष को बढ़ावा देगा, बल्कि यह शासन और प्रबंधन की विफलता भी मानी जाएगी। सरकार और प्रशासन को इसे केवल विरोध के रूप में नहीं, बल्कि न्याय और मानवता की मांग के रूप में देखना चाहिए।

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