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विद्युत गृह विद्यालय, कोरबा: शिक्षकों और कर्मचारियों की सेवा समाप्ति पर उठे सवाल!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के अंतर्गत संचालित विद्युत गृह विद्यालय, कोरबा, अपने गौरवशाली इतिहास के बावजूद अब अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। यहां के स्थायी और नियमित शिक्षक तथा कर्मचारी वर्षों से अपने अधूरे वेतन और लंबित महंगाई भत्ते के बावजूद पूरी कर्मठता के साथ काम कर रहे हैं। अब खबरें आ रही हैं कि कुछ शिक्षकों और कर्मचारियों को “अतिशेष” घोषित कर, उन्हें उनकी सेवानिवृत्ति तिथि से पहले ही सेवा से मुक्त किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो यह कदम न केवल अन्यायपूर्ण होगा, बल्कि कई परिवारों को गंभीर संकट में डाल सकता है।

प्राचीन और प्रतिष्ठित विद्यालय
1965 में स्थापित विद्युत गृह विद्यालय क्रमांक 1, कोरबा और 1984 में स्थापित क्रमांक 2, कोरबा, अपने क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित विद्यालयों में गिने जाते हैं। यहां न केवल विद्युत कंपनी के कर्मचारियों के बच्चे पढ़ते हैं, बल्कि आसपास के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के भी बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं। विद्यालय का इतिहास और प्रतिष्ठा इसे कोरबा के शैक्षणिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाते हैं।

वेतन में असमानता और महंगाई भत्ता
शुरुआत में इन विद्यालयों को राज्य शासन द्वारा अनुदानित किया जाता था, लेकिन 1996 में विद्युत कंपनी ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। इसके बाद से ही शिक्षकों और कर्मचारियों को नियमित वेतनमान और महंगाई भत्ते दिए जा रहे थे। लेकिन 2014 के बाद से महंगाई भत्ते में असमानताएं बढ़ती गईं। सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन तो दिया गया, लेकिन महंगाई भत्ते को नजरअंदाज कर दिया गया। इससे कर्मचारियों में आक्रोश और असंतोष का माहौल पैदा हुआ।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय और समझौता
शिक्षक संघ ने इस असमानता को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च न्यायालय ने 2007 में संघ के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद विद्युत कंपनी और शिक्षक संघ के बीच समझौता हुआ। समझौते के तहत, विद्यालय को राज्य शासन को हस्तांतरित करने का वादा किया गया, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

कक्षाओं की बंदी और भविष्य की अनिश्चितता
2016-17 से विद्युत कंपनी द्वारा कक्षाओं को धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है। विद्यालय क्रमांक 1 में नर्सरी की कक्षा और क्रमांक 2 में पहली की कक्षा को बंद कर दिया गया। इसके बावजूद आज भी यहां लगभग 550 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

कर्मचारियों को आश्वासन दिया गया था कि उनके सेवाकाल तक उनकी सेवाओं को विद्युत कंपनी में समाहित कर लिया जाएगा, लेकिन अब उन्हें सेवा से पहले ही मुक्त करने की बातें की जा रही हैं, जो उनके भविष्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।

शिक्षक संघ की मांग
शिक्षक संघ का कहना है कि उन्होंने कई बार विद्युत कंपनी के उच्चाधिकारियों और शिक्षा समिति से इस संबंध में बातचीत की, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। अब मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, और शिक्षक संघ मांग कर रहा है कि विद्यालय का संचालन यथावत जारी रखा जाए और शिक्षकों और कर्मचारियों को उनका लंबित महंगाई भत्ता प्रदान किया जाए।

यदि विद्युत कंपनी विद्यालय को बंद करने की मंशा रखती है, तो कम से कम शिक्षकों और कर्मचारियों को उनकी सेवाएं पूरी होने तक सम्मानजनक सेवानिवृत्ति दी जाए।
“कोरबा के विद्युत गृह विद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी वर्षों से अपनी सेवाएं निष्ठा से दे रहे हैं, लेकिन वेतन और महंगाई भत्ते की असमानता उनके लिए एक बड़ा संकट बना हुआ है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो न केवल उनकी सेवाएं बल्कि पूरे क्षेत्र के छात्रों का भविष्य भी प्रभावित हो सकता है। विद्युत कंपनी को इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेकर उचित कदम उठाने चाहिए।”

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