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मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025
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22 साल देश सेवा के बाद गांव लौटा वीर फुलेश्वर सिदार: बाराद्वार स्टेशन से सिरली गांव तक गूंजे जयकारे, हुआ भव्य स्वागत

सक्ती (पब्लिक फोरम)। भारतीय सेना में 22 वर्षों तक देश की सेवा करने के बाद जब सिरली गांव के वीर सपूत फुलेश्वर सिदार अपने गृह ग्राम लौटे, तो पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। गांव के लोगों, दोस्तों और परिजनों ने डीजे, बैंड-बाजे और पटाखों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। बाराद्वार रेलवे स्टेशन से लेकर सिरली गांव तक ‘भारत माता की जय’ और ‘जय जवान’ के नारों से वातावरण गूंज उठा।

भारतीय सेना के इंजीनियर कोर में 2003 से सेवा दे रहे हवलदार फुलेश्वर सिदार ने अम्बाला, मिशामारी (असम), पूना, सूरतगढ़, दिल्ली और भोपाल जैसे कई महत्वपूर्ण सैन्य अड्डों पर अपनी सेवा दी। देश के विभिन्न सीमांत इलाकों में ड्यूटी निभाने के बाद वे अब सेवानिवृत्त होकर अपने गांव लौटे, जहाँ ग्रामीणों ने उन्हें गर्व और सम्मान के साथ हाथों-हाथ लिया।

गांववासियों और मित्रजनों की बड़ी संख्या बाराद्वार रेलवे स्टेशन पर मौजूद थी, जहाँ उनके आगमन पर पुष्प वर्षा की गई। तत्पश्चात डीजे के साथ जन रैली निकालते हुए उन्हें सिरली गांव तक लाया गया। स्वागत रैली में युवा, महिलाएँ और बच्चे उत्साहपूर्वक शामिल हुए। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने पारंपरिक ढोल-नगाड़ों के साथ उनका अभिनंदन किया।

फुलेश्वर सिदार का जन्म सक्ती जिले के सिरली गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री चैनसिंह सिदार और माता का नाम श्रीमती फुलबासन सिदार है। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की और हाई स्कूल की पढ़ाई पोरथा से पूरी की। बचपन से ही उनमें देश सेवा की भावना प्रबल थी, जिसके चलते उन्होंने कड़ी मेहनत कर सेना में चयन प्राप्त किया।

22 वर्षों की समर्पित सेवा के बाद फुलेश्वर सिदार ने हवलदार पद से सेवानिवृत्ति ली। अपने स्वागत से भावुक हुए सिदार ने कहा:—

“मैंने 22 साल तक देश की सेवा की है। अब जब अपने गांव लौटा हूँ और लोगों ने इस तरह सम्मान दिया है, तो यह मेरे जीवन का सबसे गर्वपूर्ण क्षण है।”

गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने फुलेश्वर सिदार को गांव का गौरव बताया और युवाओं से उनके जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की। वहीं युवाओं ने कहा कि फुलेश्वर सिदार जैसे सैनिकों के त्याग और समर्पण से ही देश सुरक्षित और मजबूत बना हुआ है।

इस अवसर पर ग्रामीणों ने कहा कि सेना से लौटे अपने जवानों का सम्मान करना समाज का दायित्व है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन के स्वर्णिम वर्ष राष्ट्र की रक्षा में समर्पित किए हैं।

फुलेश्वर सिदार का सम्मान न केवल एक सैनिक के प्रति आभार का प्रतीक है, बल्कि यह उस राष्ट्रप्रेम और जनगौरव की भावना का भी प्रतीक है जो हर भारतीय के हृदय में जीवित है। सिरली गांव ने अपने सपूत के स्वागत से यह साबित किया कि देशभक्ति केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि गांव की गलियों में भी सांस लेती है।

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