कोरबा (पब्लिक फोरम)। बालको-वेदांता प्रबंधन पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारों के प्रति अमानवीय एवं दमनात्मक व्यवहार के गंभीर आरोप एक बार फिर सामने आए हैं। मामले को लेकर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने जिला कलेक्टर को एक विस्तृत पत्र लिखते हुए तत्काल प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग की है।
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया है कि प्रबंधन शैक्षणिक सत्र के मध्य जारी उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों के कारण परिवारों को गहरे मानसिक तनाव में डाल रहा है, जबकि अनेक परिवार केवल बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इस कारण कंपनी आवासों में अस्थायी रूप से रह रहे हैं।
प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप
पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन द्वारा दमनकारी कदम उठाए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से: – बिजली आपूर्ति काटना।पानी की व्यवस्था रोकना।
कंपनी अस्पताल में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए उपलब्ध निःशुल्क चिकित्सा सुविधा बंद करवाना। टॉयलेट एवं सीवरेज लाइनों को जानबूझकर चोक करना। सुरक्षा कर्मियों और अन्य व्यक्तियों के माध्यम से मौखिक धमकियाँ देकर मानसिक दबाव बनाना शामिल है।
पूर्व मंत्री के अनुसार, ये सभी कृत्य प्राकृतिक न्याय, मानवीय गरिमा और संविधान प्रदत्त सम्मानजनक जीवन के अधिकार का उल्लंघन हैं। इससे प्रभावित परिवार सामाजिक, मानसिक और शारीरिक संकट से गुजर रहे हैं तथा बच्चों की शिक्षा सीधे प्रभावित हो रही है।
प्रशासन द्वारा पूर्व में दिया गया आश्वासन अधूरा
जयसिंह अग्रवाल ने स्मरण कराया कि इससे पहले भी उन्होंने कलेक्टर को इस मामले में संवेदनशील हस्तक्षेप की अपील की थी। जिला प्रशासन ने प्रबंधन से चर्चा कर प्रभावित परिवारों को 31 अक्टूबर 2025 तक कंपनी आवासों में रहने की अनुमति दिलाई थी।
लेकिन-जैसे ही अवधि समाप्त हुई, 1 नवंबर से प्रबंधन ने पुनः मनमानी और दमनात्मक गतिविधियाँ शुरू कर दीं, जो पूर्व मंत्री के अनुसार अत्यंत चिंताजनक है।
पत्र में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र के मध्य किसी भी परिवार के लिए अपने बच्चों की शिक्षा रोककर आवास खाली करना एक असंभव स्थिति है। यह मानवीय दृष्टि से भी अनुचित है और प्रशासन एवं प्रबंधन दोनों को इस पहलू को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है।
पूर्व मंत्री ने उठाई चार प्रमुख माँगें
पूर्व मंत्री ने जिला प्रशासन से निम्न प्रमुख मांगें की हैं:—
1. वर्तमान शैक्षणिक सत्र की समाप्ति तक सभी प्रभावित परिवारों को सुरक्षित एवं सम्मानजनक रूप से आवास में रहने की अनुमति दिलाई जाए।
2. प्रबंधन को बिजली, पानी, सीवरेज और चिकित्सा सुविधाओं सहित सभी बुनियादी सेवाओं की तत्काल बहाली के निर्देश दिए जाएँ।
3. बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए प्रबंधन की सभी उत्पीड़नकारी कार्रवाइयों पर पूर्ण रोक लगाई जाए।
4. पीड़ित परिवारों की सुरक्षा, गरिमा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की रक्षा हेतु ठोस प्रशासनिक कदम उठाए जाएँ।
बताया गया है कि कई प्रभावित परिवार अपनी सुरक्षा, बच्चों की शिक्षा और प्रबंधन की कथित मनमानी से राहत पाने हेतु पहले ही माननीय उच्च न्यायालय की शरण ले चुके हैं, जहाँ मामला वर्तमान में विचाराधीन है।
अंत में पूर्व मंत्री ने उम्मीद जताई है कि जिला प्रशासन संवैधानिक दायित्वों और मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए पीड़ित परिवारों को तत्काल राहत उपलब्ध कराएगा।
पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, पुलिस अधीक्षक और सीईओ बालको को भी भेजी गई है।





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