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शनिवार, दिसम्बर 13, 2025
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दिनदहाड़े तोड़फोड़: बालको बचाओ आंदोलन का बैनर उखाड़कर फरार हुआ नकाबपोश, पुलिस में होगी शिकायत

“बालको सेक्टर 4 शॉपिंग सेंटर के सामने चल रहे शांतिपूर्ण धरने पर हमले से आक्रोश, संयोजक ने कहा – साथियों से चर्चा के बाद दर्ज कराएंगे रिपोर्ट”

कोरबा/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। 30 अक्टूबर से सेक्टर 4 शॉपिंग सेंटर और नगर प्रशासन कार्यालय के सामने लगातार चल रहे ‘बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति’ के धरने पर आज दिनदहाड़े एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। मंगलवार दोपहर लगभग 11:45 बजे एक अज्ञात नकाबपोश व्यक्ति ने आंदोलनकारियों का बैनर उखाड़कर फरार हो गया। यह घटना उस समय हुई जब आंदोलनस्थल पर कोई भी आंदोलनकारी मौजूद नहीं था।

दिनदहाड़े हुई तोड़फोड़, चश्मदीदों ने बताया पूरा वाक़या

घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक लंबा और तगड़े कद-काठी का व्यक्ति अचानक वहां पहुंचा। उसने अपने चेहरे को गमछे से पूरी तरह ढक रखा था और जैकेट पहनी हुई थी। बिना किसी से कुछ कहे, उस व्यक्ति ने बैनर को तेजी से उखाड़ा और मुख्य मार्ग से एटीएम की दिशा में भागने लगा।

आसपास मौजूद कुछ लोगों ने उसे रोकने और उसके हाथ से बैनर छीनने का प्रयास किया, लेकिन वह व्यक्ति इतना ताकतवर था कि कोई भी उसे रोक नहीं पाया। चंद सेकंड में ही वह बैनर लेकर घटनास्थल से गायब हो गया। पूरी घटना इतनी तेजी से घटी कि लोग समझ नहीं पाए कि क्या हुआ।

आंदोलनकारियों की अनुपस्थिति का फायदा उठाया

जो बात इस घटना को और भी दुर्भाग्यपूर्ण बनाती है, वह यह है कि उस समय धरनास्थल पर आंदोलनकारियों में से कोई भी मौजूद नहीं था। सभी साथी किसी जरूरी काम से बाहर गए हुए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि नकाबपोश ने इसी अवसर का फायदा उठाकर यह कदम उठाया।

30 अक्टूबर से लगातार चल रहा यह धरना स्थानीय मुद्दों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किया जा रहा है। आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर वेदांता प्रबंधन नगर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे।

संयोजक ने साधी चुप्पी, कहा – पुलिस में देंगे शिकायत

इस घटना के बाद जब बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक बी.एल. नेताम से संपर्क किया गया, तो उन्होंने तत्काल कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। उन्होंने सधे हुए शब्दों में कहा, “हम अपने साथियों के साथ इस घटना पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके बाद पुलिस को तत्काल सूचित करेंगे और औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें किसी व्यक्ति या समूह पर संदेह है, तो उन्होंने साफ शब्दों में किसी पर भी आरोप लगाने से इनकार कर दिया। उनका यह संयमित रुख उनकी परिपक्वता और जिम्मेदारी को दर्शाता है।

लोकतांत्रिक अधिकारों पर सवाल
यह घटना न केवल एक बैनर उखाड़ने की घटना है, बल्कि यह लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने के अधिकार पर एक सवालिया निशान भी है। शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में दिनदहाड़े नकाबपोश होकर किसी के अभिव्यक्ति के प्रतीकों को नष्ट करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ भी है।

स्थानीय लोगों और नागरिक समूहों में इस घटना को लेकर आक्रोश है। कई लोगों का मानना है कि अगर दिनदहाड़े सार्वजनिक स्थान पर ऐसी घटना हो सकती है, तो यह सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है।

अब आगे क्या?
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आंदोलनकारी किस तरह से इस मामले को आगे बढ़ाते हैं और प्रशासन एवं पुलिस इस घटना पर क्या कार्रवाई करती है। क्या पुलिस CCTV फुटेज के जरिए नकाबपोश की पहचान कर पाएगी? क्या यह कोई योजनाबद्ध साजिश थी या फिर कोई व्यक्तिगत दुश्मनी?

बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के साथियों का कहना है कि वे अपने आंदोलन को और मजबूती से जारी रखेंगे। इस तरह की घटनाएं उनके हौसले को कमजोर नहीं कर सकतीं। वे कानूनी तरीके से इस मामले को आगे बढ़ाएंगे और न्याय की मांग करेंगे।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र में असहमति का अधिकार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सहमति का। किसी भी आंदोलन या विरोध को दबाने के लिए हिंसा या तोड़फोड़ का रास्ता लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। जरूरत इस बात की है कि प्रशासन संवेदनशीलता से इस मामले की जांच करे और दोषियों को कानून के दायरे में लाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और हर नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार सुरक्षित रहे।

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