उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में धर्मांतरण विरोधी कानून को और कठोर बनाने का फैसला किया है। यह नया कानून, जिसे ‘अवैध धर्मांतरण (संशोधन) विधेयक 2024’ के नाम से जाना जाता है, कई मायनों में चिंताजनक है। आइए जानें इस कानून के प्रमुख बिंदुओं और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
नए कानून की मुख्य बातें
1. सजा का प्रावधान: पहले जहां अधिकतम सजा 10 साल थी, अब यह आजीवन कारावास तक बढ़ा दी गई है।
2. जुर्माना: अब अपराधियों पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
3. शिकायत दर्ज कराने का अधिकार: अब कोई भी व्यक्ति इस कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है, जबकि पहले यह अधिकार केवल पीड़ित के परिवार को था।
यह कानून क्यों चर्चा में है?
भाजपा सरकार का दावा है कि यह कानून ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है। लेकिन विपक्ष और कई महिला अधिकार संगठन इसे संविधान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं।
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की आपत्तियां
1. यह कानून मनुस्मृति और नाजी जर्मनी के भेदभावपूर्ण कानूनों की याद दिलाता है।
2. यह महिलाओं के अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने के अधिकार का उल्लंघन करता है।
3. यह कानून अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों को हतोत्साहित करता है, जो एक समावेशी समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
1 जनवरी 2021 से 30 अप्रैल 2023 तक उत्तर प्रदेश में इस कानून के तहत 427 मामले दर्ज किए गए और 833 लोगों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये सभी मामले वास्तव में जबरन धर्मांतरण के थे?यह कानून न केवल महिलाओं के अधिकारों पर प्रहार करता है, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को भी कमजोर करता है। समाज के हर वर्ग को इस कानून के दूरगामी प्रभावों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। क्या हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहां प्रेम और विश्वास पर कानून का पहरा हो? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर हर नागरिक को गहराई से सोचना चाहिए।
यह कानून न केवल महिलाओं के अधिकारों पर प्रहार करता है, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को भी कमजोर करता है। समाज के हर वर्ग को इस कानून के दूरगामी प्रभावों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। क्या हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहां प्रेम और विश्वास पर कानून का पहरा हो? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर हर नागरिक को गहराई से सोचना चाहिए।
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