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ऊर्जाधानी भूविस्थापित संगठन ने निकाला संदेश जत्था

कोरबा (पब्लिक फोरम)। ऊर्जाथानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भू अर्जन से प्रभावित किसानों के संघर्ष को एकजुट करने के लिए ग्राम नराईबोध से सुबह 09बजे तीन दिवस के लिए संदेश जत्था निकाला। उक्त आशय की जानकारी संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने एक प्रेस बयान जारी कर दी।
उन्होंने बताया कि आज प्रदेश में विभिन्न जगहों पर कोयला खदानें रेल कॉरिडोर औद्योगिक विकास परियोजनाओं के कारण किसानों के जमीन अर्जित किए जा रहे हैं लेकिन प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा पुनर्वास रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर प्रभावित किसान अपनी हक व अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन अलग-अलग संघर्षों को एक सूत्र में एक सूत्र में बांधने के उद्देश्य से ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति संगठन ये जत्था निकाला।

गौरतलब है कि आज केंद्र की सरकार भूमि अधिग्रहण कर प्रदेश के आदिवासियों की जल जंगल जमीन की बुनियादी अधिकारों को छीन कर और कारपोरेट घरानों के हवाले कर देना चाहती हैं। हाल ही में संसद में वन अधिकार कानून में परिवर्तन कर आदिवासियों के वनाधिकार पत्रक के अधिकार से वंचित करने का काम किया है। वही अभी जो नियम बनाया है, उस नियम के तहत उसी जंगल के जमीन को बहुत आसानी से अब कारपोरेट घरानों को उस जमीन को आसानी से ले सकती है और जमीन के नीचे के खनिज संपदा का भरपूर दोहन कर मुनाफा कमा सकती है।

विस्थापित नेता ने आगे कहा कि संगठन की ओर से ये संदेश जत्था मुख्य रूप से सन 1997 के 11 अगस्त को नरईबोध में हुए गोलीकांड में गोपाल दास फिरतु दास की शहादत दिवस को सामने रखकर पूरे भूविस्थापित किसान पूरे प्रदेश में भूविस्थापितों के बीच एकजुटता कायम करने के लिए ये संदेश जत्था निकाला गया।
ये संदेश जत्था नराईबोध से निकलकर बरौद जामपाली, खेदापाली, बिजारी, छाल नवापारा, गारे पलमा लारा प्रोजेक्ट (NTPC) होते हुए धर्मजयगढ़ के प्रभावित भूविस्थापितों से संपर्क कर बैठक की गई एवं 11 अगस्त को शहीदी एकजुटता दिवस पालन करने का आह्वान किया गया।
इस संदेश जत्था में संगठन की ओर से विजयपाल सिंह तंवर, ललित महिलांगे, रूद्र दास महंत, बसंत कुमार कंवर, दीपक यादव, संतोष चौहान, बबलू कंवर शामिल थे।

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