मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024
होमआसपास-प्रदेशट्रेनी आईएफएस का तुगलकी फरमान: नियम ताक पर, कर्मचारियों की बर्खास्तगी से...

ट्रेनी आईएफएस का तुगलकी फरमान: नियम ताक पर, कर्मचारियों की बर्खास्तगी से मची हलचल!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। पसरखेत रेंज के ट्रेनी आईएफएस चंद्रकुमार अग्रवाल का एक विवादास्पद निर्णय तीन परिवारों के लिए मुसीबत बन गया है। आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए तीन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए बेहद कठोर साबित हुआ, जो नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन में शामिल हुए थे। इनमें से एक कर्मचारी, जिन्होंने विभाग में 32 साल सेवा दी थी, सदमे से ग्रस्त हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

नौकरी से निकाले जाने की खबर ने बिगाड़ी सेहत
छत्तीसगढ़ दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी संघ और फेडरेशन के आव्हान पर प्रदेश में अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है। कोरबा वनमंडल के पसरखेत रेंज के तीन कर्मचारी—यशवंत कुमार, महत्तम सिंह कंवर, और रामखिलावन निर्मलकर—इस आंदोलन में शामिल थे। ये कर्मचारी नियमितिकरण की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें इसके बदले में अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

21 अगस्त को ट्रेनी आईएफएस चंद्रकुमार अग्रवाल ने इन तीनों कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। आदेश की सूचना वनमंडलाधिकारी और उप वनमंडलाधिकारी को भी दी गई। जबकि यशवंत और महत्तम ने अपनी बर्खास्तगी को किसी तरह सहन किया, रामखिलावन निर्मलकर, जो 1992 से विभाग में सेवा दे रहे थे, इस आघात को सहन नहीं कर सके। उन्हें सदमे के कारण पैरालिसिस का अटैक आया और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।

कर्मचारियों को वेतन न मिलने से परिवार पर संकट
कोरबा और कटघोरा वनमंडल में करीब ढाई सौ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्यरत हैं, जिन्हें बहुत कम वेतन मिलता है। इन कर्मचारियों को बीते नौ महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी। ऐसे में बर्खास्तगी और बीमारी के कारण रामखिलावन के परिवार के लिए इलाज कराना मुश्किल हो गया है।

तुगलकी आदेश पर सवाल
जानकारों के अनुसार, किसी भी कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त करने के लिए नियम और प्रक्रियाएं होती हैं, जिनका पालन किया जाना चाहिए। नियमानुसार, बर्खास्तगी से पहले नोटिस जारी की जाती है और जवाब संतोषजनक न होने पर ही उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन सौंपा जाता है। प्रशिक्षु आईएफएस अधिकारी को सीधे बर्खास्तगी का आदेश देने का अधिकार नहीं है।

परिजनों और संगठन में आक्रोश
बर्खास्तगी के इस आदेश के बाद से कर्मचारियों के परिजनों और संगठन के पदाधिकारियों में आक्रोश है। वे इस फैसले को अन्यायपूर्ण और गलत ठहरा रहे हैं।

अधिकारियों का बयान
उप वनमंडलाधिकारी (दक्षिण) कोरबा, सूर्यकांत सोनी ने कहा, “हमें कर्मचारियों के बर्खास्तगी संबंधी पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। यदि पत्र मिलता है, तो उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।”

दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष कांशी राम ध्रुव ने कहा, “नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है और इसके लिए विधिवत सूचना दी गई थी। हमारे साथियों को जबरन काम पर बुलाया जा रहा है और प्रशिक्षु अधिकारी ने गलत तरीके से कार्रवाई की है, जो अनुचित है।”

इस घटना ने कर्मचारियों के प्रति प्रशासनिक रवैये और नियमों के उल्लंघन की ओर ध्यान आकर्षित किया है। बर्खास्तगी जैसे कठोर कदम उठाने से पहले अधिकारियों को नियमों का पालन और कर्मचारियों की मानवीय स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए।

मोदी जी की गारंटी के अधिकांश वायदों को एक साल के...

जनादेश दिवस: प्रदेश की महिलाओं को मिली महतारी वंदन योजना की 10वीं किश्तरायगढ़ में बनेगा राज्य का सबसे बड़ा नालंदा परिसर:मुख्यमंत्री ने किया भूमिपूजनरायगढ़...
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments