नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने के फैसले ने भारतीय निर्यात उद्योग और कामकाजी वर्ग पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। इस मसले पर ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) ने कड़ा विरोध दर्ज करते हुए आगामी 1 सितम्बर (सोमवार) को अखिल भारतीय विरोध दिवस मनाने की घोषणा की है।
कुछ सप्ताह पहले लागू हुई इस टैरिफ नीति का सीधा असर भारत से अमेरिका को जाने वाले निर्यात पर पड़ा है। अब जहाँ 30 प्रतिशत निर्यात वस्तुएँ ड्यूटी-फ्री रहेंगी और 4 प्रतिशत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा, वहीं शेष 66 प्रतिशत निर्यात – जिसमें कपड़े, परिधान, रत्न-आभूषण, झींगा मछली, कालीन और फर्नीचर प्रमुख हैं – पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे भारतीय निर्यात 70 प्रतिशत तक घटकर मात्र 18.6 अरब डॉलर रह जाएगा, जिससे अमेरिका को कुल निर्यात में लगभग 43 प्रतिशत गिरावट होगी।
इसका सबसे बड़ा असर कपड़ा व परिधान उद्योग पर पड़ा है। तिरुपुर, नोएडा और सूरत जैसे बड़े उत्पादन केंद्रों में कई इकाइयाँ पहले ही उत्पादन रोक चुकी हैं, क्योंकि भारी लागत और ऊँचे टैरिफ के चलते वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है। परिणामस्वरूप लाखों मज़दूरों की नौकरियाँ ख़तरे में आ गई हैं।
ऐक्टू का आरोप है कि मोदी सरकार ने अमेरिका के साथ ऐसा गठबंधन किया है, जो राष्ट्रीय हित के बजाय कॉरपोरेट घरानों के हित में है। संगठन का कहना है कि अडानी, महिंद्रा और अंबानी जैसे पूँजीपति तो अपार मुनाफ़ा कमा रहे हैं, लेकिन आम मज़दूरों और श्रमिक वर्ग की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
एआईसीसीटीयू ने कहा कि “विश्वगुरु” बनने का दावा केवल सरकार की असफलताओं को छिपाने का तरीका है। नोटबंदी, श्रम संहिताएँ, कोरोना लॉकडाउन, बड़े पैमाने पर बेदखली और मताधिकार पर हमले – ये सब कदम मज़दूर वर्ग को कमजोर करने के लिए उठाए गए।
संगठन ने यह भी आलोचना की कि मोदी सरकार देश में रोज़गार पैदा करने के बजाय भारतीय मज़दूरों को इज़राइल भेज रही है, जहाँ वे मारे गए फ़िलिस्तीनी मज़दूरों की जगह काम कर रहे हैं। इसे संगठन ने पश्चिमी साम्राज्यवादी ताक़तों को खुश करने की कीमत पर भारतीय मज़दूरों की गरिमा और सुरक्षा से समझौता बताया।
AICCTU का कहना है कि जब अमेरिकी सरकार ने भारतीय पेशेवरों को ज़ंजीरों में जकड़कर निर्वासित किया था, तब मोदी सरकार ने चुप्पी साध ली थी। आज जब अमेरिकी टैरिफ नीति से लाखों नौकरियाँ खतरे में हैं, तब भी सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
AICCTU की प्रमुख माँगें:
– सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे और प्रभावित उद्योगों को राजकोषीय सहयोग प्रदान कर मज़दूरों को बेरोज़गारी और वेतन कटौती से बचाए।
– चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए।
– ठेका प्रथा और निजीकरण की नीतियों को समाप्त किया जाए।
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