कोयला खदान में हो रही ब्लास्टिंग से घरों में दरारें, ग्रामीणों का धैर्य टूटा, SECL से तुरंत समाधान की मांग
कोरबा/गेवरा (पब्लिक फोरम)। गेवरा में कोयला खदान में हैवी ब्लास्टिंग के कारण गांव के लोगों को अपने ही घरों में सुरक्षित रहना मुश्किल हो गया है। इस गंभीर समस्या से परेशान ग्रामीणों ने ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले SECL गेवरा खदान के पास पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया, जिससे खदान का काम पूरी तरह ठप हो गया।
गौरतलब है कि SECL की गेवरा मेगा परियोजना के तहत अमगांव, दर्राखांचा और जोकाही डबरी की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, जहां दीपका खदान के माध्यम से कोयला उत्खनन हो रहा है। लेकिन खदान के निकट की हैवी ब्लास्टिंग से गांव के लोग सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। कई बार शिकायतों के बावजूद प्रबंधन ने ब्लास्टिंग बंद नहीं की, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया है।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगे:
1. गांव और आबादी क्षेत्र से 500 मीटर के भीतर ब्लास्टिंग पर रोक लगाई जाए।
2. बसाहट स्थल नेहरू नगर बतारी में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
3. मुआवजा में किसी भी प्रकार की कटौती तुरंत बंद की जाए।
4. रोजगार, बसाहट और मुआवजे से जुड़े सभी मुद्दों का तत्काल समाधान हो।
5. अमगांव, दर्राखांचा, जोकाही डबरी के परिवारों को पूर्व में दिए गए आश्वासन के अनुसार बसाहट के एवज में मुआवजा राशि दी जाए।
6. निजी और सरकारी भूमि पर बने मकानों के लिए 100% सोलिसियम दिया जाए।
7. आउटसोर्सिंग कंपनियों में बाहरी भर्ती बंद कर क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता दी जाए।
ग्रामीणों की बढ़ती समस्या और आंदोलन का कारण
संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि अमगांव, दर्राखांचा और आसपास के गांवों में हैवी ब्लास्टिंग के कारण लोगों के घरों में दरारें आ गई हैं। खदान की दूरी महज 10 से 20 मीटर तक रह गई है, और बिना किसी सुरक्षा घेराबंदी के लगातार ब्लास्टिंग से छत टूटने, पत्थर गिरने और मकानों में दरारें आने की समस्या पैदा हो रही है। ग्रामीणों को उचित मुआवजा न मिलने के कारण वे अपने गांव में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बसाहट के लिए मुआवजा और अन्य सात मांगों पर समाधान न मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा।
इस विरोध प्रदर्शन में ऊर्जाधानी समिति के वरिष्ठ सदस्य और अन्य ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल रहे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक खदान का कार्य भी शुरू नहीं होना चाहिए।
ग्रामीणों की इस आवाज को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है। SECL प्रबंधन को जल्द से जल्द इन मांगों पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ग्रामीणों को एक सुरक्षित और स्थिर जीवन मिल सके।
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